Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jul, 2022 08:57 AM
पास में अधिक धन होने पर मनुष्य अपने को बड़ा मान लेता है पर वास्तव में वह बड़ा नहीं होता अपितु छोटा ही होता है। ध्यान दें, धन का अभिमानी व्यक्ति अपना तिरस्कार और अपमान करके तथा अपने को
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Inspirational Context: पास में अधिक धन होने पर मनुष्य अपने को बड़ा मान लेता है पर वास्तव में वह बड़ा नहीं होता अपितु छोटा ही होता है। ध्यान दें, धन का अभिमानी व्यक्ति अपना तिरस्कार और अपमान करके तथा अपने को छोटा करके ही अपने में बड़प्पन का अभिमान करता है।
वास्तव में आप स्वयं निरंतर रहने वाले हैं और धन, मान, बड़ाई, प्रशंसा, निरोगता, पद अधिकार आदि सब आने-जाने वाले हैं। इनसे आप बड़े कैसे हुए इनके कारण अपने में बड़प्पन का अभिमान करना अपना पतन ही करना है। इसी प्रकार निर्धनता, निंदा, रोग आदि के कारण अपने को छोटा मानना भी भूल है। आने-जाने वाली वस्तुओं से कोई छोटा या बड़ा नहीं होता। अपने को छोटा कभी न समझें। सब बराबर हैं और इनमें कोई फर्क नहीं।
नाशवान पदार्थों को महत्व देने के कारण ही जन्म-मरण रूप बंधन, दुख, संताप, जलन आदि सब उत्पन्न होते हैं। अत: भली-भांति विचार करना चाहिए कि मैं तो निरंतर रहने वाला हूं और ये पदार्थ आने-जाने वाले हैं, अत: इन पदार्थों के आने-जाने का असर मुझ पर कैसे पड़ सकता है ?
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आप धन को पैदा करते हैं न कि धन आपको। आप धन का उपयोग करते हैं न कि धन आपका। धन आपके अधीन है, आप धन के अधीन नहीं। आप धन के मालिक हैं, धन आपका मालिक नहीं।
ये बातें सदा याद रखें। आप धनपति बनें, धनदास नहीं। बस इतनी ही समझने वाली बात है। धन को महत्व देने से और धन के कारण अपने को बड़ा मानने से मनुष्य धनदास (धन का गुलाम) बन जाता है। इसी से वह दुख पाता है अन्यथा उसे दुख देने वाला है ही कौन ?