स्नान यात्रा 2019ः इस दिन के बाद भगवान चलें जाते हैं एकांत में, जानें क्यों ?

Edited By Lata,Updated: 17 Jun, 2019 01:30 PM

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हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार रथ यात्रा प्रत्येक वर्ष की तरह आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाएगी है और इस बार यह

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हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार रथ यात्रा प्रत्येक वर्ष की तरह आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाएगी है और इस बार यह तिथि 4 जूलाई दिन गुरुवार को पड़ रही है।ओडिशा के पुरी में स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में एक माह पहले से रथ यात्रा को आयोजन होना शुरू हो जाता है। मान्यताओं के अनुसार रथ यात्रा का आरंभ भगवान जगन्नाथ के अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के स्नान यात्रा से माना जाता है, इसे देव स्नान पूर्णिमा भी कहते हैं, जोकि आज दिन सोमवार को पड़ रही है। आज वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को मंदिर के गर्भ गृह से निकाल कर स्नान मंडप में लाया जाता है। जिसे स्नान यात्रा के नाम से जाना जाता है। तो आइए आगे जानते हैं इस स्नान यात्रा के महत्व के बारे में। 
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स्नान मंडप परिसर के सुना कुआ (सोने का कुआं) से साल में एक बार इस पवित्र स्नान के लिए 108 घड़ों में पानी निकाला जाता है। इन सभी घड़ों को भोग मंडप में रखा जाता है और मंदिर के पुजारी इन घड़ों के जल को हल्दी, जौं, अक्षत्, चंदन, पुष्प और सुंगंध से पवित्र करते हैं। इसके बाद इन घड़ों को स्नान मंडप में लाकर पूरे विधि-विधान से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को स्नान कराया जाता है, इसे जलाभिषेक भी कहाते हैं।
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शास्त्रों के अनुसार स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ और बलभद्र को हाथी के भेष वाले पोशाकों से सुशोभित किया जाता है, तो वहीं बहन सुभद्रा को कमल वाली पोशाक पहनाई जाती है। स्नान यात्रा के दौरान भगवान के दर्शनों के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र दिन भगवान के दर्शन करने से सभी लोगों के पाप धुल जाते हैं।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अत्यधिक स्नान के कारण भगवान जगन्नाथ और दोनों भाई बहन बीमार पड़ जाते हैं। जिसके कारण उनको एकांतवास में रखा जाता है, राजवैद्य उनका इलाज करते हैं। करीब 15 दिनों तक उनकी कोई पूजा नहीं होती हैं और मंदिर के कपाट भी इतने दिनों तक बंद ही रहते हैं। 15 दिनों तक आराम करने के बाद भगवान और उनके भाई बहन का दिव्य श्रृंगार किया जाता है। इस बार 03 जूलाई को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन एकांतवास से बाहर निकलेंगे और दुनियाभर से आए भक्तों को दर्शन देंगे। अगले दिन यानि 04 जूलाई को विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा धूमधाम से निकाली जाएगी।

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