इन मंत्रों में है हर Problem का Solution

Edited By Jyoti,Updated: 23 May, 2018 12:46 PM

solution of every problem in these chants

भारतीय संस्कृति में वेद सनातन धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं, जिसे ईश्वर की वाणी कहा गया है। इन वेदों की गिनती उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रथों में की गई है, जिनके मंत्रों का उच्चारण आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से किया जाता है।

ये नहीं देखा तो क्या देखा
भारतीय संस्कृति में वेद सनातन धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं, जिसे ईश्वर की वाणी कहा गया है। इन वेदों की गिनती उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रथों में की गई है, जिनके मंत्रों का उच्चारण आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से किया जाता है।

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सनातन धर्म में चार वेद बताए गए है- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद। कहते हैं कि इन वेदों में व्यक्ति की हर समस्या का समाधान है। तो आईए जानते हैं कि इन्हीं वेदों के दो एेसे मंत्रों के बारे में जिनका उच्चारण करना हर किसी के लिए लाभकारी होता है।  
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गायत्री मंत्र- गायत्री महामंत्र वेदों का एक बहुत महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्ता लगभग ॐ के समान मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मंत्र ॐ भूर्भुवः स्वः और ऋग्वेद के छंद 3.62.10 के मेल से बना है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण से ईश्वर की प्राप्ति होती है। 
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मंत्र-
"ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।" 


24 अक्षरों वाले इस सर्वश्रेष्ठ गायत्री मंत्र को मंत्रों का राजा कहा जाता है। इस मंत्र का उच्चारण करने वाले को इसका जाप ब्रह्म मुहूर्त में मौन रहकर मानसिक रूप से जाप करना चाहिए। एेसा करने से मनुष्य को अपनी समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही गायत्री मंत्र के प्रतिदिन जप करने से त्वचा में अद्भुत चमक आती है, नेत्रों में तेज़ आता है, क्रोधी व्यक्ति का क्रोध हमेशा के लिए शांत होता है और उसे मन की शांति प्राप्त होती है। बच्चों के लिए भी यह मंत्र बहुत लाभदायक है, यदि विद्यार्थी रोज़ इस मंत्र का 51 या 108 बार जप करें तो उन्हें सफलता प्राप्त होती है।
 

महामृत्युंजय मंत्र- ऋग्वेद में मृत्यु पर विजय और दीर्घ आयु दिलाने वाला एकमात्र मंत्र महामृत्युंजय मंत्र है। यदि किसी मनुष्य को मृत्यु का भय हो तो इस मंत्र के उच्चारण से सभी भय दूर होते हैं।

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मंत्र-
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌ उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌" 


कार्यों में सफलता पाने और भय से छुटकारा पाने के लिए भी इस मंत्र का जप किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति किसी रोग से ग्रसित हो तो सोमवार या पूर्णिमा के दिन भगवान शिव का 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करते हुए शुद्ध शहद से अभिषेक करें तो शीघ्र ही उसे अपने रोगों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा अकाल मृत्यु के भय से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में महामृत्युंजय मंत्र का जप किसी प्राचीन शिव मंदिर में बैठकर करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। 
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