Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Jun, 2018 03:51 PM
आजकल पुरुषोत्तम मास चल रहा है, 13 जून के दिन इसका विश्राम होगा। इस महीने में श्रीकृष्ण के पूजन का बहुत महत्व है। भागवत में श्रीकृष्ण ने स्वयं को देव वृक्ष पीपल कहा है। पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी तथा अग्र भाग में भगवान शिव साक्षात...
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आजकल पुरुषोत्तम मास चल रहा है, 13 जून के दिन इसका विश्राम होगा। इस महीने में श्रीकृष्ण के पूजन का बहुत महत्व है। भागवत में श्रीकृष्ण ने स्वयं को देव वृक्ष पीपल कहा है। पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी तथा अग्र भाग में भगवान शिव साक्षात रूप से विराजित हैं। स्कंदपुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फलों में सभी देवताओं का वास है।
वैसे तो पीपल का पूजन रविवार को छोड़कर हर रोज करना चाहिए। संभव न हो तो शनिवार को जरूर करें। इस दिन पीपल का पूजन करने से ग्रह दोष शांत होते हैं, धन, आयु, संतान और मनचाहे प्यार सहित सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शनिवार को श्वेत वस्त्र धारण करके पीपल की पूजा करें।
पीपल पर जल अर्पित करते समय उसमें केसर, चंदन, चावल और फूल डालें (थोड़ा सा जल लोटे में रहने दें)। तिल के तेल का दीपक लगाकर श्रीकृष्ण व अश्वत्थ मंत्र का जाप करें, साथ में पीपल के पेड़ की 11 परिक्रमा करें-
अश्वत्थ मंत्र
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यंसर्वसम्पदम्।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
श्रीविष्णु-श्रीकृष्ण मंत्र
दामोदरं पद्मनाभं केशवं गरुडध्वजम्।
गोविन्दमच्युतं कृष्णमनन्तमपराजितम्।
लोटे में जो जल छोड़ा था उसका सारे घर में और पारिवारिक सदस्यों पर छिड़काव करें। इस उपाय से सभी ऊपरी बाधाएं शांत होती हैं, कोई भी नकारात्मक ऊर्जा घर में अपना बसेरा नहीं बना पाती। शनि संबंधित सभी दोषों का नाश होता है।
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