Edited By Jyoti,Updated: 14 Aug, 2020 12:23 PM
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार और शनिवार दोनों ही दिन बजरंगबली की पूजा की जा सकती है। आमतौर पर शनिवार के दिन लोग शनिदेव की आराधना करते हैं,
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार और शनिवार दोनों ही दिन बजरंगबली की पूजा की जा सकती है। आमतौर पर शनिवार के दिन लोग शनिदेव की आराधना करते हैं, क्योंकि ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं कि ये दिन शनिदेव की अर्चना के लिए खास होता है। इस दिन शनि देव जिस पर प्रसन्न हो जाते हैं उसके जीवन के समस्त कष्ट क्लेश दूर हो जाते हैं। मगर बता दें इस दिन के साथ एक मान्यता ये भी जुड़ी हुई है कि शनिवार को शनि देव अपने साथ-साथ हनुमान जी की पूजा करने वाले पर भी अपनी कृपा करते हैं। इसका कारण है शनिदेव और हनुमान जी से संबंधित ग्रंथों में वर्णित कथा।
दरअसल कथाओं के अनुसार पवनपुत्र हनुमान जी और शनिदेन के बीच युद्ध हुआ था। जिसमें शनिदेव हार गए। युद्ध के बाद बजरंगबली ने शनिदेव को आशीर्वाद दिया था। तो वहीं शनिदेव ने कहा था कि जो व्यक्ति इस दिन मेरे अलावा इनकी आराधना करेगा, उसे अपनी सभी परेशानियां से मुक्ति मिलेगी। यही कारण है कि इस दिन इनकी पूजा करने का विधान है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार महाबली हनुमान जी शारीरिक शक्ति के प्रतीक हैं तथा अतुलनीय पराक्रमी, बलवान, साहसी देव हैं। कहा जाता है कलियुग में इनकी साधना पूरी तरह से फलदायक मानी जाती है। इनकी साधना से न केवल जीवन के कष्ट दूर होते हैं तथा नकारात्मक शक्तियां का असर भी कम होता है। शास्त्रों के कहा गया है कि भगवान शंकर के रौद्र रूप हनुमान जी की समक्ष बड़ी से बड़े परिस्थितियां और बाधाएं इस रह दब जाती हैं, जिस तरह पर्वत के नीचे छोटा सा तिनका दब कर रह जाता है। तो आइए जानते हैं कि कैसे इन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।
प्रत्येक मंगलवार और शनिवार की शाम हनुमान जी के मंदिर जाएं और उन्हें सिंदूर अर्पित करें। अगर मंदिर न सके तो घर में ही स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र पर सिंदूर चढ़ा दें।
मान्यता है इस उपाय से जीवन की हर मुश्किल राह पर आसान हो जाती है।
शनिवार को लाल चंदन, लाल गुलाब के फूल तथा रोली लेकर, इन सब चीजों को एक लाल कपड़े में बांधकर एक सप्ताह के लिए मंदिर में रख आएं और फिर घर पर आकर धूपबत्ती करें। एक सप्ताह के बाद उन्हें घर- दुकान की तिज़ोरी में रख दें। इससे आपके धन में वृद्धि होगी।
इसके अलावा प्रत्येक मंगलवार को इस मंत्र का जप करें "ऐं क्लीं सौ: ओम् अं अंगारकाय नम:, ओम् क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:" ।।