Edited By Jyoti,Updated: 30 Jul, 2019 03:42 PM
हर माह में प्रदोष व्रत व मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। मगर श्रावण मास में आने वाले प्रदोष व्रत व मासिक शिवरात्रि का महत्व कुछ अलग ही होता है।
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हर माह में प्रदोष व्रत व मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। मगर श्रावण मास में आने वाले प्रदोष व्रत व मासिक शिवरात्रि का महत्व कुछ अलग ही होता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार तो सावन महीने में आने वाली शिवरात्रि को फाल्गुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि के समान फलदायी माना जाता है। परंतु आप में से ऐसे बहुत से लोग होंगे जो समय कम होने के कारण या किसी अन्य कारण वश सुबह इस खास दिन भी शिव जी पूजा नहीं कर पाते। अगर आप भी इन लोगों में से है एक है तो चलिए हम आपको बताते हैं शाम को कैसे इनकी पूजा कर इनकी कृपा पाई जा सकती है।
जैसे कि इसके नाम से स्पष्ट है मासिक शिवरात्रि यानि शिव की रात्रि। तो ज़ाहिर सी बात है इस दिन भोलेनाथ की विशेष पूजा करने का विधान है। आज यानि 30 जुलाई को श्रावण मास की मासिक शिवरात्रि है। सावन मास के कृष्ण पक्ष में मंगलवार के दिन पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है यह रात्रि शिरोधार्य शिवरात्रि कहलाती है।
भगवान शिव की पूजा का मुहूर्त-
सुबह 06:45 बजे से शाम को 07:38 बजे तक।
चूंकि शिव जी का पूजा शुभ मुहूर्त शाम तक का है तो इसलिए इस दिन इनकी खास पूजा-अर्चना की जा सकती है। वैसे भी शिव जी आराधना के लिए प्रदोष काल यानि सूर्यास्त के बाद का समय सबसे खास माना जाता है।
प्रदोष काल में ऐसे करें भगवान शिव की पूजा-
शिवरात्रि के दिन साफ़ और पूर्ण 1001 बेल पत्र इकट्ठा करके अपने पास रख लें, फिर उस पर सफ़ेद चंदन से राम-राम लिखें। भगवान शिव की पूजा के दौरान आप 1001 बेल पत्र एक-एक करके भगवान शिव को अर्पित करें और हर बार भोलेनाथ के अलग-अलग नामों का उच्चारण करें। यानि शिव शंकर के 1001 नामों का जाप करें। सभी बेल पत्र चढ़ाने के बाद गुड़ से बना पुआ, हलवा और कच्चे चने का भोग लगाएं, बाकी प्रसाद लोगों में बांट दें।