Kundli Tv-Powerful बनाएगा ये मंत्र, भगवान करते हैं रक्षा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Jun, 2018 05:15 PM

sri mad bhagwat geeta

जो किसी भी जीव को उद्विग्न करता नहीं तथा स्वयं भी किसी के द्वारा उद्विग्न नहीं होता तथा जो हर्ष, अमर्ष, भय आदि उद्वेगों से रहित है-वह भक्त मुझे प्रिय है। भगवान हमें प्रिय लगें-अच्छी बात है,

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)

PunjabKesari

यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च य:।
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो य: स च मे प्रिय:।।
-गीता 12/15

व्याख्या- जो किसी भी जीव को उद्विग्न करता नहीं तथा स्वयं भी किसी के द्वारा उद्विग्न नहीं होता तथा जो हर्ष, अमर्ष, भय आदि उद्वेगों से रहित है-वह भक्त मुझे प्रिय है।
भगवान हमें प्रिय लगें-अच्छी बात है, लेकिन भगवान् को हम भा जाएं, भगवान् की प्रियता का संकेत हमारी ओर हो जाए-ऐसा सोच कर भी कितना आह्लाद एवं रोमांच हो जाता है। श्री गीता जी के 12वें अध्याय के अनुसार ऐसा संभव है। यह श्लोक उसी भाव की एक व्यावहारिक कड़ी है।

जो किसी को उद्विग्न नहीं करता-घर परिवार में सबके लिए यह बात ध्यान देने योग्य है। मेरा व्यवहार किसी दूसरे के कष्ट का कारण तो नहीं बन रहा! कभी-कभी अपने अहं की तुष्टि-पुष्टि में यह भुला दिया जाता है कि दूसरे को कितनी परेशानी हो रही होगी। परेशान रहने और परेशान करने की आदत से सावधान रहना होगा।

PunjabKesari

यह आदत पारिवारिक शान्ति और सद्भावना की शत्रु है। माचिस कुछ भी जलाने से पूर्व स्वयं को ही जलाती है। यह भी संभव है कि वह जिसे जलाने चली, वहां तक पहुंच ही न पाए, वायु का झोंका बुझा दे, जिसे जलाना था, जला ही न पाई, स्वयं जल गई। किसी के प्रति ईष्र्या, द्वेष, क्रोध, उद्विग्नता ऐसी ही आग है, इससे बचो! 

घर में बड़े बुजर्ग हैं तो उनके लिए विशेष ध्यान रखो-हमारा व्यवहार यथा संभव उनकी शारीरिक-मानसिक उद्विग्नता का कारण न बने! अपनी सुख-सुविधा के लिए किसी को कष्ट देना किसी भी तरह उचित नहीं, संभव हो तो कष्ट सहकर भी सुख देने का भाव बनाएं।

PunjabKesari

इस श्लोक में आगे का भाव-किसी के द्वारा उद्विग्न होता नहीं? कुछ जटिल लगता है। कोई क्रोध दिलाना चाहे और हमें क्रोध न आए, कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न करे जो उद्विग्नता, विक्षेपता या आवेश दिलाने वाली हो, तब भी हम शान्त रह पाएं, पढऩे-सुनने में कुछ व्यावहारिक-सा लगता है, लेकिन जीवन का अद्भुत गौरव है यह! यदि यह स्थिति है तो आप विश्वास करें न आपसे आपकी मानसिक शान्ति कोई छीन सकता है और न ही पारिवारिक प्रेम सद्भाव!

प्राय: ऐसा कह दिया जाता है कि वैसे तो मैं शान्त रहता हूं, लेकिन जब कोई क्रोध दिलवाने वाली बात करता है या हालात बनाता है, तब नहीं रहा जाता! क्रोध नहीं आता, मन शान्त है-इसकी तो कसौटी ही यही है कि कोई उद्विग्न करना चाहे, तब भी हम शांत रह पाएं।

PunjabKesari

यह बात भी आती है कि घर परिवार में कोई बार-बार ऐसा वातावरण बनाए, तब शांत रहा जाए! सकारात्मक सोच, नकारात्मक से कहीं-कहीं अधिक प्रभावशाली होती है!
देर-सवेर शांत स्वभाव अपना प्रभाव दिखाता ही है। मिट्टी से चिलम भी बनती है। स्वयं भी तपती है, प्रयोग करने वालों को भी तपाती है। उसी मिट्टी से सुराही बनती है, स्वयं भी शीतल रहती है, औरों को शीतलता बांटती भी है। सोचो-हमें कैसा बनना है-चिलम या सुराही जैसा!

इसके साथ ही जो हर्ष, अमर्ष, भय आदि से मुक्त है, भगवान् कहते हैं-वह मुझे प्रिय है! प्रसन्न रहना अच्छा और आवश्यक है, लेकिन अपनी किसी अनुकूलता पर इतना हॢषत होना कि वह मेरे में अहंकार या आसक्ति उत्पन्न कर दे-यह अच्छा नहीं। न ही यह कि किसी दूसरे को आगे बढ़ता देख ईष्र्या का भाव बना लेना!

घर-परिवार में आजकल भय की आशंका प्राय: बनी रहती है। पारिवारिक, व्यापारिक अथवा सामाजिक दृष्टि से भी-जो मैं नहीं चाहता, कहीं वैसा न हो जाए तथा जो मैं चाहता हूं, कहीं वैसा न हुआ तो....! ऐसी आशंकाओं में अपने मन की शान्ति को हर समय तनाव में नहीं बदलो, न पारिवारिक वातावरण ही बिगाड़ो!

PunjabKesari

जिस प्रभु के हाथ में सब कुछ है, अर्जुन की तरह लगाम उनके हाथ में सौंपो, उन्हें अपने जीवन-रथ का सारथी बनाओ। शान्त मन शीतल स्वभाव से व्यवहार करो और देखो आदर्श गृहस्थ-जीवन कैसा होता है, साथ ही अनुभव करो अपने लिए भगवान की प्रियता!

यदि चाहते हैं वास्तव में आदर्श-जीवन, गीता जी का यह श्लोक और इसमें निहित प्रेरणाएं हमारा पग-पग पर एवं पल-पल मार्ग दर्शन करने को तैयार है। इसे आदर्श बनाएं! 

मानसिक शान्ति पारिवारिक सद्भाव एवं भगवत्कृपा-सब कुछ मिल सकता है। गृहस्थाश्रम की ये सहज स्वाभाविक आवश्यकताएं हैं आपको ऐसा लग ही रहा होगा कि गीता इन आवश्यकताओं को साकार रूप देने की सक्षम प्रेरणा है।

शिव पूजन में इन कपड़ों का न करें इस्तेमाल वरना... (देखें Video)
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!