श्रीमद्भगवद्गीता: इस मंत्र का जाप करते हुए प्राण त्यागने वाले की होती है बैकुण्ठ प्राप्ति

Edited By Jyoti,Updated: 02 Apr, 2018 10:45 AM

sri madh bhagwat geeta gayan by swami prabhupada

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप व्याख्याकार: स्वामी प्रभुपाद  अध्याय 8: भगवत्प्राप्ति  ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्। य: प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्॥ 13॥ अनुवाद एवं तात्पर्य इस योगाभ्यास में स्थित होकर तथा अक्षरों के परम संयोग...

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप
व्याख्याकार: स्वामी प्रभुपाद 
अध्याय 8: भगवत्प्राप्ति 


ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।
य: प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्॥ 13॥


अनुवाद एवं तात्पर्य
इस योगाभ्यास में स्थित होकर तथा अक्षरों के परम संयोग ओंकार का उच्चारण करते हुए यदि कोई भगवान का चिंतन करता है और अपने शरीर का त्याग करता है, तो वह निश्चित रूप से आध्यात्मिक लोकों को जाता है।


यहां स्पष्ट उल्लेख हुआ है कि ओम्, ब्रह्म तथा भगवान् कृष्ण परस्पर भिन्न नहीं हैं। ओम्, कृष्ण की निर्विशेष ध्वनि है, लेकिन हरे कृष्ण में यह ओम् सन्निहित है। इस युग के लिए हरे कृष्ण मंत्र जप की स्पष्ट संस्तुति है।


अत: यदि कोई ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण-कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे’ मंत्र का जप करते हुए शरीर त्यागता है तो वह अपने अभ्यास के गुणानुसार आध्यात्मिक लोकों में से किसी एक लोक को जाता है। कृष्ण के भक्त कृष्णलोक या गोलोक वृंदावन को जाते हैं। सगुणवादियों के लिए आध्यात्मिक आकाश में अन्य अनेक लोक हैं, जिन्हें बैकुण्ठ लोक कहते हैं, किन्तु निर्शेिषवादी तो ब्रह्मज्योति में ही रह जाते हैं।  

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!