Srimad Bhagavad Gita- ‘सब अस्त्र आत्मा को मारने में असमर्थ’

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Mar, 2021 09:26 AM

srimad bhagavad gita

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप व्याख्याकार: स्वामी प्रभुपाद साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत:।।

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श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप व्याख्याकार: स्वामी प्रभुपाद

साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत:।।
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अनुवाद एवं तात्पर्य : यह आत्मा न तो कभी किसी शस्त्र द्वारा खंड-खंड की जा सकती है, न अग्नि द्वारा जलाया जा सकता है, न जल द्वारा भिगोई या वायु द्वारा सुखाई जा सकती है।

सारे हथियार-तलवार, आग्नेयास्त्र, वर्षों से अस्त्र, चक्रवात आदि आत्मा को मारने में असमर्थ हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आधुनिक आग्नेयास्त्रों के, अतिरिक्त मिट्टी, जल, वायु, आकाश आदि के भी अनेक प्रकार के हथियार होते थे।

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यहां तक कि आधुनिक युग के नाभिकीय हथियारों की गणना भी आग्नेयास्त्रों में की जाती है परंतु पूर्वकाल में विभिन्न पार्थिव तत्वों से बने हुए हथियार होते थे।

अग्नेयास्त्रों का सामना जल के (वरुण) हथियारों से किया जाता था जो आधुनिक विज्ञान के लिए अज्ञात हैं। आधुनिक विज्ञान को चक्रवात हथियारों का भी पता नहीं है।

जो भी हो आत्मा को न तो कभी खंड-खंड किया जा सकता है न किन्हीं वैज्ञानिक हथियारों से उसका संहार किया जा सकता है चाहे उनकी संख्या कितनी ही क्यों न हो।  
(क्रमश:)

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