श्रीमद्भगवद्गीता- आत्मा को समझना आसान नहीं

Edited By Jyoti,Updated: 14 Mar, 2021 12:32 PM

srimad bhagavad gita geeta in hindi

कोई आत्मा को आश्चर्य से देखता है कोई उसे आश्चर्य की तरह बताता है तथा कोई इसे आश्चर्य की तरह सुनता है किन्तु कोई-कोई इसके विषय में सुनकर भी कुछ नहीं समझ पाते।

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श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप
व्या याकार :
स्वामी प्रभुपाद
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता

आत्मा को समझना आसान नहीं

श्लोक-
आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेनमाश्चर्यवद्वदति तथैव चान्य:।
आश्चर्यवच्चैनमन्य: शृणोति श्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित्॥

अनुवाद एवं तात्पर्य : कोई आत्मा को आश्चर्य से देखता है कोई उसे आश्चर्य की तरह बताता है तथा कोई इसे आश्चर्य की तरह सुनता है किन्तु कोई-कोई इसके विषय में सुनकर भी कुछ नहीं समझ पाते।

विशाल पशु, विशाल वटवृक्ष तथा एक इंच स्थान में लाखों-करोड़ों की सं या में उपस्थित सूक्ष्म कीटाणुओं के भीतर अणु-आत्मा की उपस्थिति निश्चित रूप से आश्चर्यजनक है। ऐसे थोड़े से लोग, जो आत्मा के विषय में सुनने के इच्छुक हैं अच्छी संगति पाकर भाषण सुनते हैं, किन्तु कभी-कभी अज्ञानवश वे परमात्मा तथा अणु-आत्मा को एक समझ बैठते हैं। ऐसा व्यक्ति खोज पाना कठिन है जो परमात्मा, अणु-आत्मा, उनके पृथक-पृथक कार्यों तथा संबंधों एवं अन्य विस्तारों को सही ढंग से समझ सके। इससे अधिक कठिन है ऐसा व्यक्ति खोज पाना जिसने आत्मा के ज्ञान से पूरा-पूरा लाभ उठाया हो और जो सभी पक्षों से आत्मा की स्थिति का सही-सही निर्धारण कर सके, किन्तु यदि  कोई किसी तरह से आत्मा के इस विषय को समझ लेता है तो उसका जीवन सफल हो जाता है।

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