श्रीमद्भगवद्गीता: मनुष्यों की ‘दो श्रेणियां’

Edited By Jyoti,Updated: 28 Nov, 2021 12:29 AM

srimad bhagavad gita gyan in hindi

सब जीवों के लिए रात्रि है, वह आत्मसंयमी के जागने का समय है और जो समस्त जीवों के जागने का समय है वह आत्मनिरीक्षण मुनि के लिए रात्रि है। बुद्धिमान मनुष्यों की दो श्रेणियां हैं।

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श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप
व्या याकार :
स्वामी प्रभुपाद

साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता

श्रीमद्भागवत गीता श्लोक-
या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।
यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुने :।।

अनुवाद एवं तात्पर्य : जो सब जीवों के लिए रात्रि है, वह आत्मसंयमी के जागने का समय है और जो समस्त जीवों के जागने का समय है वह आत्मनिरीक्षण मुनि के लिए रात्रि है। बुद्धिमान मनुष्यों की दो श्रेणियां हैं। एक श्रेणी के मनुष्य इंद्रिय तृप्ति के लिए भौतिक कार्य करने में निपुण होते हैं और दूसरी श्रेणी के मनुष्य आत्म निरीक्षक हैं जो आत्म साक्षात्कार के अनुशीलन के लिए जागते हैं। विचारवान पुरुषों या आत्मनिरीक्षक मुनि के कार्य भौतिकता में लीन पुरुषों के लिए रात्रि के समान हैं।

भौतिकवादी व्यक्ति ऐसी रात्रि में अनभिज्ञता के कारण आत्म साक्षात्कार के प्रति सोए रहते हैं जबकि आत्म निरीक्षक मुनि भौतिक घातों से अविचलित रह कर आत्म साक्षात्कार के कार्यों में लगा रहता है।

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