Srimad Bhagavad Gita: ‘कर्तव्य’ की उपेक्षा बना देती है ‘पाप’ का भागी

Edited By Jyoti,Updated: 11 Apr, 2021 04:51 PM

srimad bhagavad gita in hindi

अनुवाद एवं तात्पर्य : अर्जुन वि यात योद्धा था जिसने शिव आदि अनेक देवताओं से युद्ध करके यश अर्जित किया था। शिकारी के भेष में शिवजी से युद्ध करके तथा उन्हें हरा

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श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप
व्या याकार :
स्वामी प्रभुपाद
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता

‘कर्तव्य’ की उपेक्षा बना देती है ‘पाप’ का भागी

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक-
अथ चेत्त्वमिमं ध र्यं संग्रामं न करिष्यसि।
तत: स्वधर्मं कीर्ति च हित्वा पापमवाप्स्यसि।।33।।

अनुवाद एवं तात्पर्य : अर्जुन वि यात योद्धा था जिसने शिव आदि अनेक देवताओं से युद्ध करके यश अर्जित किया था। शिकारी के भेष में शिवजी से युद्ध करके तथा उन्हें हरा कर अर्जुन ने उन्हें प्रसन्न किया था और वर के रूप में पाशुपतास्त्र प्राप्त किया था। सभी लोग जानते थे कि वह एक महान योद्धा है। स्वयं द्रोणाचार्य ने उसे आशीष दिया था और एक विशेष शस्त्र प्रदान किया था जिससे वह अपने गुरु का भी वध कर सकता था।

इस प्रकार वह अपने धर्मपिता, स्वर्ग के राजा इंद्र समेत अनेक अधिकारियों से अनेक युद्धों के प्रमाणपत्र प्राप्त कर चुका था किन्तु यदि वह इस समय युद्ध का परित्याग करता है तो वह न केवल क्षत्रिय धर्म की उपेक्षा का दोषी होगा अपितु उसके यश की भी हानि होगी और वह नरक जाने के लिए अपना मार्ग तैयार कर लेगा। दूसरे शब्दों में, वह युद्ध करने से नहीं अपितु युद्ध से पलायन करने के कारण नरक का भागी होगा।  (क्रमश:)

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