Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Jun, 2018 06:11 PM
निर्जला एकादशी का व्रत करने से पूरे साल में पड़ने वाली एकादशियों के व्रत का पुण्य प्राप्त होता है। इसे पाण्डव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एक व्रत से लोक-परलोक में हर सुख की प्राप्ति होती है।
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निर्जला एकादशी का व्रत करने से पूरे साल में पड़ने वाली एकादशियों के व्रत का पुण्य प्राप्त होता है। इसे पाण्डव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एक व्रत से लोक-परलोक में हर सुख की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि 23 जून 2018 को 03:19 से आरंभ होगी और 24 जून 2018 को 03:52 बजे समाप्त होगी। व्रत पारण यानि खोलने का शुभ मुहूर्त 24 जून 2018 को दोपहर 1:59 से शाम 04:30 के बीच रहेगा।
निर्जला एकादशी व्रत कथा
एक बार पाण्डु पुत्र भीम सेन ने श्रील वेदव्यास जी से पूछा," हे परम पूजनीय विद्वान पितामह! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी करने के लिए कहते हैं। किन्तु मुझसे भूखा नहीं रहा जाता। आप कृपा करके मुझे बताएं कि उपवास किए बिना एकादशी का फल कैसे मिल सकता है?"
श्रीलवेदव्यास जी बोले,"पुत्र भीम! यदि आपको स्वर्ग बड़ा प्रिय लगता है, वहां जाने की इच्छा है और नरक से डर लगता है तो हर महीने की दोनों एकादशी को व्रत करना ही होगा।"
भीम सेन ने जब ये कहा कि यह उनसे नहीं हो पाएगा तो श्रीलवेदव्यास जी बोले,"ज्येष्ठ महीने के शुल्क पक्ष की एकादशी को व्रत करना। उसे निर्जला कहते हैं। उस दिन अन्न तो क्या, पानी भी नहीं पीना। एकादशी के अगले दिन प्रातः काल स्नान करके, स्वर्ण व जल दान करना। वह करके पारण के समय (व्रत खोलने का समय) ब्राह्मणों व परिवार के साथ अन्नादि ग्रहण करके अपने व्रत को विश्राम देना। जो एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीए रहता है तथा पूरी विधि से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशियां आती हैंं उन सब एकादशियों का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से सहज ही मिल जाता है।"
यह सुनकर भीम सेन उस दिन से इस निर्जला एकादशी के व्रत का पालन करने लगे अौर वे पाप मुक्त हो गए।
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