Edited By Jyoti,Updated: 02 Jul, 2019 02:06 PM
भारत एक ऐसा देश है जहां मंदिरों व धार्मिक स्थलों की इतनी भरमार हैं, जिसे अगर कोई देखने निकल जाए तो उसकी यात्रा शायद कभी पूरी ही न हो। मगर हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लगभग हर व्यक्ति की इन मंदिरों के दर्शन करने की इच्छा तो होती है।
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भारत एक ऐसा देश है जहां मंदिरों व धार्मिक स्थलों की इतनी भरमार हैं, जिसे अगर कोई देखने निकल जाए तो उसकी यात्रा शायद कभी पूरी ही न हो। मगर हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लगभग हर व्यक्ति की इन मंदिरों के दर्शन करने की इच्छा तो होती है। लेकिन भारत में इतने धार्मिक स्थल है कि एक ही बार में सबके दर्शन कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। इसी के चलते आए-दिन हम आपको अपने वेबसाइटस के जरिए देश के अलग-अलग मंदिरों के बारे में बताते रहते हैं। आज भी हम आपके लिए एक बहुत ही प्राचीन मंदिर लाएं हैं जिससे संबंधित एक ऐसी मान्यता प्रचलित है जो इसे और खास बनाती हैं। तो चलिए देर न करते हुए जानते हैं इसके बारे में-
बिहार के जमुई के रेलवे स्टेशन के सामने मलयपुर में काली माता का एक मंदिर स्थित है जिसे मां नेतुला मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है मां काली के इस मंदिर को जमुई का गौरव माना जाता है।
मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार मां नेतुला के दरबार में आने जो भक्त नेत्र से संबंधित रोगों से पीड़ित होते हैं उन्हें उनसे हमेशा हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है। इसी के चलते जमुई काली मंदिर में साल भर नेत्र रोग से परेशान लोगों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर से जुड़ी एक खास मान्यता ये है कि यहां जो भी सच्चे भक्ति भाव से 30 दिन तक धरना देता है उसको मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
मंदिर का इतिहास
कहा जाता है मां नेतुला मंदिर का इतिहास हज़ारों सालों पुराना है। प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान महावीर जब घर त्याग कर ज्ञान की तलाश में निकले थे, तब उन्होंने पहला दिन मां नेतुला मंदिर परिसर स्थित वटवृक्ष के नीचे रात्रि में विश्राम किया था। कहा जाता है कि भगवान महावीर ने इस स्थान पर अपना वस्त्र त्याग कर किया था। इसका उल्लेख जैन धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ कल्पसूत्र में भी पढ़ने को मिलता है।
श्रद्धालुओं की भीड़
यहां हर मंगलवार को भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। वहीं नवरात्रों के दौरान मां नेतुला की पूजा अर्चना का विशोष महत्व है।