Edited By Jyoti,Updated: 18 Dec, 2018 12:26 PM
इतना तो हम सब जानते ही हैं कि हिंदू धर्म में खरमास यानि मलमास 16 दिसंबर 2018 से शुरू हो चुका है। ये भी हर कोई जानता ही होगा कि ज्योतिष और शास्त्रों के अनुसार इस महीने को शुभ नहीं माना जाता। इसमें किसी भी प्रकार के शुभ काम करना अच्छा नहीं माना जाता।
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इतना तो हम सब जानते ही हैं कि हिंदू धर्म में खरमास यानि मलमास 16 दिसंबर 2018 से शुरू हो चुका है। ये भी हर कोई जानता ही होगा कि ज्योतिष और शास्त्रों के अनुसार इस महीने को शुभ नहीं माना जाता। इसमें किसी भी प्रकार के शुभ काम करना अच्छा नहीं होता। यही कारण है कि इस महीने को हमेशा अपमानजनक दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि इसी माह से श्रीकृष्ण के प्रिय माह बनने के दिलचस्प कथा शुरू हुई थी। जी हा, शायद आप लोगों को यकीन नहीं हो रहा होगा, लेकिन ये सच है, शास्त्रों में इसके बारे में अच्छे से वर्णन पढ़ने-सुनने को मिलता है। तो आइए जानते हैं क्या है ये पौराणिक कथा-
एक पौराणिक कथा के अनुसार खरमास महीने को जब देवताओं और मनुष्यों ने नकार कर इसकी निंदा की तो खरमास इस अपमान से दुखी होकर भगवान विष्णु के पास पहुंचा और अपनी पीड़ा सुनाई। उसने भगवान विष्णु को कहा कि मेरी हर जगह निंदा होती है मुझे कोई भी स्वीकार नहीं करना चाहता। अत: उसका कोई स्वामी नहीं है।
खरमास यानि मलमास की सभी बात सुनकर श्रीकृष्ण उसे अपने साथ लेकर गौलोक आ गए। श्रीकृष्ण ने उसकी सारी पीड़ा सुनी कि खरमास में कोई मांगलिक कार्य नहीं होता और हर जगह उसका अनादर होता है, तो श्री कृष्ण ने उसको कहा कि इस संसार में अब मैं तुम्हारा स्वामी हूं। मैं तुम्हें स्वीकार करता हूं। अब कोई तुम्हारी निंदा नहीं करेगा।
भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास को स्वीकार किया और उसे अपना नाम दिया, पुरुषोत्तम मास। भगवान ने खरमास को कहा कि अब तुम्हें पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाएगा।
जो मुनि और ज्ञानि गोलोक धाम में पद पाने के लिए कठोर तप करते हैं, उन्हें उस गोलोक धाम की प्राप्ति इस महीने में किए अनुष्ठान, पूजन और पवित्र स्नान से प्राप्त होती है। कहा जाता है कि यही कारण है कि पुरुषोत्तम मास में किया जाने वाला स्नान, ध्यान, अनुष्ठान और पूजा-पाठ हमें ईश्वर के निकट ले जाता है।
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