बिहार के राजगीर में स्थित 22 अग्निकुंडों व 52 जल धाराओं की क्या है गाथा?

Edited By Jyoti,Updated: 11 Sep, 2020 07:47 PM

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शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ बीते दिन हमने अपनी वेबसाइट के माध्यम से आपको बताया कि हर साल मलमास मास के उपलक्ष्य में बिहार के राजगीर का सबसे बड़ा मेला इस बार नहीं होगा।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बीते दिन हमने अपनी वेबसाइट के माध्यम से आपको बताया कि हर साल मलमास मास के उपलक्ष्य में बिहार के राजगीर का सबसे बड़ा मेला इस बार नहीं होगा। बिहार की सरकार की तरफ़ से कोरोना के मद्देनज़र एक फैसला लिया गया जिसके अनुसार हर तीन साल में लगने वाले राजगीर मेले पर पाबंदी लगा दी गई है। हालांकि बिहार के अन्य कई छोटे-बड़े मंदिर खोल दिए गए हैं। परंतु सरकार का मानना है कि क्योंकि मेले में अधिकतर भीड़ होगी जिस पर काबू पाना आना तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल हो जाएगा। इससे संबंधित काफी जानकारी दे चुके हैं। इसी बीच आज हम आपको बताएंगे राजगीर से जुड़े धार्मिक तथ्यों के बारे में। जिसमें जानेंगे यहां स्थित 22 कुंडों और 52 जलधाराओं की उत्पत्ति की गाथा। तो आइए शुरू करते हैं- 
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सनातन धर्म के एक नहीं बल्कि कईं पुराण, ग्रंथ आदि हैं, जिनमें हमारे देश में स्थित प्राचीन स्थलों आदि का वर्णन मिलता है। उन्हीं नें से है वायु पुराण, जिसमें राजगीर नामक स्थल के बारे में उल्लेख किया गया है। इसमें वर्णित कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा के पौत्र राजा बसु ने मलमास महीने के दौरान राजगीर में ‘वाजपेयी यज्ञ’ करवाया था। जिसमें आने के लिए उन्होंने 33 कोटि देवी देवता करोड़ देवी-देवताओं को आने का न्योता दिया। इस दौरान केवल काग महाराज को छोड़कर उनके वहां सभी देवी- देवता पधारे। 

कथाओं के अनुसार देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी तथा पवित्र नदियों और तीर्थों के जल की ज़रूरत पड़ी। जिसके बाद ब्रह्मा जी ने राजगीर में 22 अग्निकुंडों के साथ 52 जल धाराओं का निर्माण करवाया। बताया जाता है बह्मा जी ने जिन 22 कुंडों का निर्माण कराया वे हैं- ब्रह्मकुंड, सप्तधारा, व्यास, अनंत, मार्केण्डेय, गंगा-यमुना, काशी, सूर्य, चन्द्रमा, सीता, राम-लक्ष्मण, गणेश, अहिल्या, नानक, मखदुम, सरस्वती, अग्निधारा, गोदावरी, वैतरणी, दुखहरनी, भरत और शालीग्राम कुंड। 

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आगे बताते चलें इनमें से ब्रह्मकुंड का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रहता है, यानि यह एक गर्म पानी का कुंड है। कहा जाता है कि इस कुंड में आने वाला पानी सप्तकर्णी गुफाओं से आता है। यहां वैभारगिरी पर्वत पर भेलवाडोव तालाब है, इससे ही जल पर्वत से होते हुए यहां पहुंचता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल्स जैसे सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। जिस कारण यहां पानी हमेशा गर्म रहता है। 

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इसकी और दिलचस्प बात तो ये है कि आज भी यहां मलमास मेले के दौरान एक भी काग दिखाई नहीं देता। वायु पुराण के मुताबिक वाजपेयी यज्ञ में काग महाराज को छोड़कर बाकी सभी देवी देवता इसमें शरीक हुए थे। क्योंकि असल में राजा बसु भूलवश काग महाराज को न्योता देना भूल गए थे। इसके कारण महायज्ञ में काग महाराज शामिल नहीं हुए। यही कारण है कि इसके बाद से यहां कभी भी और खासतौर पर मलमास मेले के दौरान राजगीर के आसपास काग दिखाई नहीं देते हैं। 

 

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