Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Jan, 2022 09:03 AM
भगवान विष्णु जी के प्रिय भक्तों को सदा ही एकादशी व्रत का पालन सच्चे भाव से करना चाहिए। इस व्रत में बिना मांगे ही भक्त को सभी सुखों की प्राप्ति होती है । वैसे तो प्रत्येक
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2022 Shattila Ekadashi: भगवान विष्णु जी के प्रिय भक्तों को सदा ही एकादशी व्रत का पालन सच्चे भाव से करना चाहिए। इस व्रत में बिना मांगे ही भक्त को सभी सुखों की प्राप्ति होती है । वैसे तो प्रत्येक एकादशी पर दीपदान करने का महात्मय है परंतु एकादशी व्रत में दीपदान करने तथा रात्रि संकीर्तन से बड़ा कोई कर्म नहीं है। एकादशी को केवल श्री हरि विष्णु का भजन-र्कीतन ही करना चाहिए। एकादशी का फल भी शास्त्रों में बहुत ही ऊंचा बताया गया है।
पीपल के पेड़ को शास्त्रों में अश्वत्थ कहा गया है और इसे श्री हरि विष्णु का स्वरूप माना जाता है। जब पिप्पलाद मुनि ने पीपल के पेड़ के नीचे तपस्या करके शनिदेव को प्रसन्न किया तत्पश्चात इस पेड़ का नाम पीपल पड़ा। आज शाम पीपल के पेड़ पर तिल के तेल का दीपक जलाएं और
‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’
मंत्र का पेड़ के नीचे ही बैठ कर 108 बार जाप करें।
षटतिला एकादशी पर पीपल के पेड़ की पूजा करने से पति की उम्र लम्बी होती है और उन पर आने वाले कष्ट टलते हैं। कोर्ट- कचहरी और मुकदमे में विजय प्राप्त होती है, धन से संबंधित परेशानियों से राहत मिलती है एवं व्यावसायिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
इसके अतिरिक्त तुलसी पूजा एवं दीपदान का भी बहुत महत्व है। सूरज ढलने के बाद तुलसी पर दीप लगाएं। धूप-दीप से आरती करें। तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय हैं, उनसे अपने दिल की बात करने से हर मनोकामना पूरी होती है। घर में धन-संपदा और हर सुख व वैभव आता है।
तुलसी की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।