Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 05:15 PM
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
काम क्रोध अरु स्वाद, लोभ शृंगारहिं कौतुकहिं।
अति सेवन निद्राहि, विद्यार्थी आठौ तजै।।
भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी मानव जीवन के लिए बहुत उपयोगी साबित होती हैं। जो भी इनकी व्यक्ति नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
काम क्रोध अरु स्वाद, लोभ शृंगारहिं कौतुकहिं।
अति सेवन निद्राहि, विद्यार्थी आठौ तजै।।
अर्थात: इस दोहे में आचार्य जी ने 8 ऐसी बातें बताई हैं जिनसे विद्यार्थियों को हमेशा दूर ही रहना चाहिए। पढ़ाई के दिनों में बहुत सावधानी रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसी समय पर हमारा भविष्य टिका होता है। जरा सी लापरवाही कई प्रकार की परेशानियों को जन्म दे सकती है। आइए जानते है क्या है वो आठ काम–
कामवासना
विद्यार्थी को काम यानी कामवासना से दूर रहना चाहिए। ऐसे विचारों से अध्ययन में मन नहीं लग पाता है। कामवासना के विचारों से मन भटकता रहता है। अत: छात्र-छात्राओं को इससे बचना चाहिए।
क्रोध
क्रोध यानी गुस्से को इंसान का सबसे बड़ा शत्रु माना जाता है। क्रोध वश व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। अत: विद्यार्थी को इससे भी बचना चाहिए।
लालच
लालच को सबसे बुरी बला माना जाता है। अत: विद्यार्थियों को किसी भी बात के लिए लालच नहीं करना चाहिए।
स्वाद
स्वादिष्ट भोजन का लोभ छोड़कर संतुलित आहार लेने वाले विद्यार्थियों को हमेशा ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होते हैं। इसलिए विद्यार्थियों को जितना हो सके संतुलित आहार लेना चाहिए।
श्रृंगार
आवश्यकता से अधिक साज-सज्जा, शृंगार करने वाले विद्यार्थियों का मन भी अध्ययन की ओर नहीं रहता है। ऐसे में वे श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त नहीं कर पाते हैं और आगे नहीं बढ़ पाता।
मनोरंजन
विद्यार्थियों के लिए आवश्यकता से अधिक खेल-तमाशे भी नुकसानदायक हो सकते हैं। अत: इनसे भी बचना चाहिए। खेल, तमाशे यानी आज के दौर में टीवी, फिल्म आदि से दूर रहने पर सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।
नींद
स्वस्थ शरीर के लिए 6 से 8 घंटे की नींद पर्याप्त रहती है। इससे अधिक नींद लेने वाले विद्यार्थियों को समय अभाव और आलस्य जैसी कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सेवा
यदि कोई विद्यार्थी किसी इंसान की सेवा में ज्यादा समय देता है तो वह ठीक से अध्ययन नहीं कर सकता है। अत: इस बात से भी दूरी बनाकर रखना चाहिए।