Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 May, 2022 09:33 AM
एक महात्मा जी ने एक निर्धन व्यक्ति की सेवा से प्रसन्न होकर उसे एक पारस पत्थर दिया और बोले, ‘‘इससे चाहे जितना लोहा, सोना बना लेना। मैं सप्ताह भर बाद लौटकर इसे वापस ले लूंगा।’’
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Religious Katha: एक महात्मा जी ने एक निर्धन व्यक्ति की सेवा से प्रसन्न होकर उसे एक पारस पत्थर दिया और बोले, ‘‘इससे चाहे जितना लोहा, सोना बना लेना। मैं सप्ताह भर बाद लौटकर इसे वापस ले लूंगा।’’
वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ। उसने बाजार जाकर लोहे का भाव पूछा तो पता चला कि लोहा सौ रुपए क्विंटल बिक रहा है। उस व्यक्ति ने पूछा कि क्या भविष्य में लोहा सस्ता होने की उम्मीद है तो दुकानदार ने उत्तर ‘हां’ में दिया।
यह सुनकर वह व्यक्ति यह सोचकर घर लौट आया कि लोहा सस्ता होने पर खरीदूंगा। दो दिन छोड़कर वह फिर बाजार गया, लेकिन लोहा अभी भी उसी भाव पर बिक रहा था। वह फिर घर लौट आया। सप्ताह पूरा होने से पहले उसने यह भागदौड़ दो-तीन बार
की, परन्तु बिना लोहा खरीदे ही समय गुजार दिया।
महात्मा जी लौटे तो उस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पहले जैसी देखकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। पूछने पर उन्हें सारा विवरण ज्ञात हुआ तो वह बोले, ‘‘अरे मूर्ख ! लोहा चाहे कितना भी महंगा होता परन्तु सोने से तो कई गुना सस्ता होता। यदि तू प्रतिदिन क्विंटल भर लोहा भी सोने में बदल रहा होता तो आज सात क्विंटल सोने का मालिक होता, परन्तु अपने अविवेक के कारण प्राप्त अवसर को गंवा दिया।’’
Success Mantra: सच यही है कि जो अवसर का सदुपयोग करते हैं वे ही जीवन में सफल होते हैं।