चंद्रशेखर आजाद अपनी मां के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे। एक बार पुलिस उनके पीछे थी और वे अपनी माता जी के चरण स्पर्श
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चंद्रशेखर आजाद अपनी मां के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे। एक बार पुलिस उनके पीछे थी और वे अपनी माता जी के चरण स्पर्श करने पहुंचे। पुलिस ने मकान को घेर लिया किंतु वे किसी प्रकार वहां से निकल भागने में सफल हो गए।
वे भूमिगत जीवन बिता रहे थे। एक दिन धरती को माथा टेकते हुए वह कुछ बुदबुदाने लगे और देखते ही देखते उनकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली। उनके पास कमरे में बैठे उनके क्रांतिकारी साथी ने देखा तो पूछा, ‘‘पंडित जी, आपकी आंखों में आंसू क्यों हैं? क्या कोई बुरा सपना तो नहीं देखा है?’’
‘‘अरे भइया, मैंने अपनी पूज्य माता जी के वर्षों से न तो दर्शन किए हैं, न ही उनके चरण दबा पाया हूं। आज सवेरे सोकर उठा कि उनकी याद आ गई। धरती पर माथा टेककर उन्हीं का वंदन कर रहा था।’’
आजाद ने बताया।
आजाद हमेशा कहा करते थे कि जो अपने को जन्म देने वाली माता का सम्मान नहीं करता, उसके स्नेह आशीर्वाद का पात्र नहीं बनता, वह कभी भी अपनी भारत माता के प्रति निष्ठावान नहीं हो सकता। -शिव कुमार गोयल
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