Edited By Lata,Updated: 10 Mar, 2019 03:42 PM
कहते हैं कि आचार्य चाणक्य की महान नीतियों का पालन करने से व्यक्ति कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जा सकता। अगर कोई व्यक्ति जीवन में किसी भी तरह की परेशानी या नुकसान से बचना चाहता है
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कहते हैं कि आचार्य चाणक्य की महान नीतियों का पालन करने से व्यक्ति कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जा सकता। अगर कोई व्यक्ति जीवन में किसी भी तरह की परेशानी या नुकसान से बचना चाहता है तो उनकी नीतियों को अपने जीवन में उतारकर हर कोई सुनहरे भविष्य का आगाज़ कर सकता है। चाणक्य ने अपनी नीतियों में बहुत से ऐसे लोगों के बारे में बताया है, जो कितने भी बुरे कर्म कर लें तब भी उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है। संसार में ऐसे भी लोग देखने को मिलते हैं जो दूसरे लोगों की निंदा व चुगली भी करते हैं। लेकिन फिर भी उन्हें किसी का कोई भय नहीं होता है। ऐसे लोगों को समाज में कभी भी सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता है।
श्लोकः
न पापकर्मणामाक्रोशभयम्।
अर्थ : पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती।
भावार्थ : पापी व्यक्ति को किसी बात का भय नहीं होता और न ही वह किसी निन्दा से डरता है। वह सारे कार्य गलत करता है। उसे किसी के क्रोध व भय की कोई चिंता नहीं रहती। ऐसे लोगों को राजा द्वारा तत्काल दबा देना चाहिए।
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