Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Mar, 2020 11:43 AM
सैकड़ों साल पहले जब विदेशी शासक सिकंदर यानी एलेक्जेंडर भारत पर आक्रमण करने पहुंचा तब एक ब्राह्मण ने अपनी कूटनीति से भारत को उस आक्रमण से बचाया था। वह ब्राह्मण थे आचार्य चाणक्य।
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सैकड़ों साल पहले जब विदेशी शासक सिकंदर यानी एलेक्जेंडर भारत पर आक्रमण करने पहुंचा तब एक ब्राह्मण ने अपनी कूटनीति से भारत को उस आक्रमण से बचाया था। वह ब्राह्मण थे आचार्य चाणक्य। उन्होंने अपनी कुशल राजनीति, चतुर कूटनीति, प्रकांड अर्थशास्त्र के बल पर एक मामूली से बच्चे को भारत का सम्राट बना कर अखंड भारत की कल्पना को साकार किया था। चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से विख्यात उस बालक के वंशज सम्राट अशोक ने भारत में शांति की स्थापना करी।
इतने बरसों बाद आज भी यदि चाणक्य के द्वारा बताए गए सिद्धांत और नीतियां प्रासंगिक हैं तो मात्र इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने गहन अध्ययन, चिंतन और अनुभवों से अर्जित अमूल्य ज्ञान को पूरी तरह नि:स्वार्थ होकर मानवीय कल्याण के उद्देश्य से अभिव्यक्त किया था।
आचार्य चाणक्य ने जीवन में आनंद, सुख, विजय, सौभाग्य, संपत्ति और संपन्नता का उपभोग करने के लिए बहुत सी नीतियां बतलाई हैं। उनके द्वारा रचित नीति के अनुसार वह स्त्री के चरित्र पर रोशनी डालते हुए बताते हैं की कैसी स्त्री किसी का भी सर्वनाश कर सकती है।
यदि कोई पुरुष चरित्रहीन स्त्री के आकर्षण में बंध कर अपनी सारी धन-दौलत उसके सुपुर्द कर देता है तो भी वह स्त्री उसकी कभी नहीं हो सकती। बदले में उसे कष्ट ही भोगने पड़ेंगे। चरित्रहीन स्त्री कभी भी एक पुरूष की होकर नहीं रह सकती। वह अगर सच्चा प्रेम करती है तो केवल और केवल धन से। जिस पुरूष के पास धन है वह उस पर ही अपना प्रेम लुटाएगी। धन समाप्त होते ही उसका प्रेम भी समाप्त हो जाएगा।
अत: बुद्धिमान पुरुषों को ऐसी स्त्रियों से बचना चाहिए और उन पर अपना धन बर्बाद नहीं करना चाहिए। जहां एक और स्त्री की शक्ति व सम्मान जीवन सुधार सकते हैं, तो गलत आचरण बर्बाद भी कर सकते हैं। बुद्धिमान व सुशील स्त्री घर का सौभाग्य बन जाती है यानि ऐसी स्त्री घर-परिवार के लिए शुभ व लाभ का कारण बनती है, वहीं इसके उलट आचरण दु:ख-दरिद्रता की वजह भी बन जाती है।