कर्क संक्रांति पर बनेगा समसप्तक योग: दिन-दोगुनी, रात-चौगुनी तरक्की देंगे ये उपाय

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Jul, 2020 06:32 AM

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ज्योतिष शास्त्र और भारतीय संस्कृति में सूर्य के राशि परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। इस राशि परिवर्तन की बहुत धार्मिक महत्ता भी होती है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में सूर्य को देवता का दर्जा दिया गया है।

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Kark sankranti 2020: ज्योतिष शास्त्र और भारतीय संस्कृति में सूर्य के राशि परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। इस राशि परिवर्तन की बहुत धार्मिक महत्ता भी होती है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में सूर्य को देवता का दर्जा दिया गया है। इन्हें प्रकाश, ऊर्जा, आध्यात्मिक शक्ति, आशा और पौरुष प्रवृत्ति का प्रतीक माना गया है। इसे आत्मा का कारक भी कहा गया है और इसी वजह से लोग प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं। सूर्य हमें सदैव सकारात्मक चीजों की ओर प्रेरित करते हैं। दिशाओं में यह पूर्व दिशा के स्वामी होते हैं, जबकि धातुओं में यह तांबा और सोने का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च जबकि तुला राशि में नीच का होता है। सूर्य ग्रह कभी वक्री चाल नहीं चलता। सूर्य के राशि परिवर्तन से जातकों के राशिफल पर तो असर पड़ता ही है,  साथ ही सूर्य के परिवर्तन से सौर वर्ष के मास की गणना भी की जाती है। सूर्य चाल के आधार पर ही हिंदू पंचांग की गणना संभव है। सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है तो उसे एक सौर माह कहा जाता है। राशि चक्र में 12 राशियां होती हैं इसलिए संपूर्ण राशि चक्र को पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता है।

ज्योतिष की दृष्टि से 16 जुलाई गुरुवार का दिन बहुत खास है। इस दिन एक अशुभ योग टूट रहा है और अशुभ व शुभ संयोग का एक नया कंबीनेशन बनने जा रहा है । सूर्य देव इस दिन मिथुन राशि से बाहर आ रहे हैं और राहु के साथ उनकी युति टूट रही है। ज्योतिष में सूर्य व राहु के कंबीनेशन को बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि राहु सूर्य को ग्रहण लगा देता है। राहु ने 7 मार्च 2019 को मिथुन राशि में प्रवेश किया था। जहां वह इस साल 22 सितंबर तक रहने वाले हैं। सूर्य देव ने 14 जून को मिथुन राशि में प्रवेश किया था और जहां उनकी राहु के साथ युति बन गई थी।

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अब 16 जुलाई को यह अशुभ युति टूटने वाली है और सूर्यदेव अपने मित्र चंद्रमा की कर्क राशि में प्रवेश करके एक नया संयोग और समसप्तक नामक एक अन्य योग भी बनाने जा रहे हैं।

16 जुलाई को सुबह 10:25 पर सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, जहां वे 16 अगस्त 2020 को शाम 6 बजकर 56 मिनट तक रहेंगे। सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करते ही 6 महीने के उत्तरायण काल का अंत हो जाएगा और कर्क संक्रांति के दिन से ही दक्षिणायन की शुरुआत होगी। जो आगामी 6 महीने तक यानी मकर सक्रांति तक चलेगी। हमारे शास्त्रों के अनुसार जिस तरह से मकर सक्रांति से अग्नि तत्व बढ़ता है और चारों तरफ सकारात्मक और शुभ ऊर्जा का संचार होने लगता है, उसी तरह कर्क संक्रांति से जल तत्व की अधिकता हो जाती है यानी सूर्य देव के दक्षिणायन होने से नकारात्मक शक्तियां प्रभावी हो जाती हैं और देव शक्ति कमजोर होने लगती है।

16 जुलाई को जब सूर्य कर्क राशि में आएंगे, उस समय शनि मकर राशि में होंगे यानी दोनों ग्रह एक दूसरे से सातवें घर में होंगे और दोनों ग्रहों की एक दूसरे पर नजर रहेगी। इस स्थिति को ज्योतिष शास्त्र में समसप्तक योग कहा जाता है। यह योग सभी राशियों को प्रभावित करेगा।

16 जुलाई को सूर्य जब कर्क राशि में आएंगे तो उस दिन कर्क सक्रांति होगी और सक्रांति के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए । इस दिन तुलसी के पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करना श्रेष्ठ फलदाई माना गया है । इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करें और दान आदि के कार्य करें। जीवन में आने वाली कठिनाइयां दूर होंगी, दिन-दोगुनी, रात-चौगुनी तरक्की होगी और सुख-समृद्धि बढ़ेगी।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

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