इसलिए शुभ होती है रविवार की शादी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Dec, 2019 08:50 AM

sunday wedding is auspicious

अधिकांश लोग पौष मास में विवाह करना शुभ नहीं मानते। ऐसा भी हो सकता है कि दिसम्बर मध्य से लेकर जनवरी मध्य तक उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है, धुंध के कारण आवागमन भी बाधित रहता है और

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अधिकांश लोग पौष मास में विवाह करना शुभ नहीं मानते। ऐसा भी हो सकता है कि दिसम्बर मध्य से लेकर जनवरी मध्य तक उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है, धुंध के कारण आवागमन भी बाधित रहता है और खुले आकाश के नीचे विवाह की कुछ रस्में निभाना प्रतिकूल मौसम के कारण संभव नहीं होता इसलिए 16 दिसंबर की पौष संक्रांति से लेकर 14 जनवरी की मकर संक्रांति तक विवाह न किए जाने के निर्णय को ज्योतिष से जोड़ दिया गया हो। 

PunjabKesari Sunday wedding is auspicious

कुछ समुदायों में ऐसे मुहूर्तों को दरकिनार रख कर रविवार को मध्यान्ह में लावां फेरे या पाणिग्रहण संस्कार करा दिया जाता है। इसके पीछे भी ज्योतिषीय कारण पार्श्व में छिपा होता है। हमारे सौरमंडल में सूर्य सबसे बड़ा पिंड है जो पूरी पृथ्वी को ऊर्जा प्रदान करता है। इसीलिए रविवार को अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक शुभ माना गया है। इसके अलावा हर दिन ठीक 12 बजे अभिजित मुहूर्त चल रहा होता है। भगवान श्री राम का जन्म भी इसी मुहूर्त काल में हुआ था।  जैसा इस मुहूर्त के नाम से ही स्पष्ट है कि जिसे जीता न जा सके अर्थात ऐसे समय में हम जो कार्य आरंभ करते हैं, उसमें विजय प्राप्ति होती है। ऐसे में पाणिग्रहण संस्कार में शुभता रहती है। अंग्रेज भी सन डे, को सैबथ डे अर्थात पवित्र दिन मान कर चर्च में शादियां करते हैं।

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कुछ लोगों को भ्रांति है कि रविवार को अवकाश होता है, इसलिए विवाह इस दिन रखे जाते हैं। ऐसा नहीं है। भारत में ही छावनियों तथा कई नगरों में रविवार की बजाय, सोमवार को छुट्टी होती है और कई स्थानों पर गुरु या शुक्रवार को। 

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एक दिन आराम करने से लोगों में रचनात्मक ऊर्जा बढ़ती है। सबसे पहले भारत में रविवार की छुट्टी मुंबई में दी गई थी। केवल इतना ही नहीं रविवार की छुट्टी होने के पीछे एक और कारण है। दरअसल सभी धर्मों में एक दिन भगवान के नाम का होता है। जैसे कि हिंदुओं में सोमवार शिव भगवान का या मंगलवार हनुमान का। ऐसे ही मुस्लिमों में शुक्रवार को जुम्मा होता है। मुस्लिम बाहुल्य देशों में शुक्रवार की छुट्टी दी जाती है। इसी तरह ईसाई धर्म में रविवार को ईश्वर का दिन मानते हैं और अंग्रेजों ने भारत में भी उसी परम्परा को बरकरार रखा था। उनके जाने के बाद भी यही चलता रहा और रविवार का दिन छुट्टी का दिन ही बन गया। 

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साल 1890 से पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी। साल 1890 में 10 जून वह  दिन था जब रविवार को साप्ताहिक अवकाश के रूप में चुना गया। ब्रिटिश शासन के दौरान मिल मजदूरों को हफ्ते में सातों दिन काम करना पड़ता था। यूनियन नेता नारायण मेघा जी लोखंडे ने पहले साप्ताहिक अवकाश का प्रस्ताव किया जिसे नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत से सालों सघन संघर्ष के बाद अंग्रेज रविवार को सभी के लिए साप्ताहिक अवकाश बनाने पर राजी हुए। इससे पहले सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी मिलती थी।

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