सूर्य और शनि पहुंचे एक घर में, कैसा होगा सभी राशियों पर असर ?

Edited By Jyoti,Updated: 23 Dec, 2018 05:04 PM

surya and shani effects

ज्योतिष के अनुसार 17 दिसंबर से शनि ग्रह एक महीने के लिए अस्त हो चुका है। परंतु इसके साथ ही अब सूर्य ने अपना घर बदल लिया है। ज्योतिष के अनुसार इन दोनों का प्रवेश में धनु राशि में हो रहा है जिससे अशुभ माना जा रहा है।

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ज्योतिष के अनुसार 17 दिसंबर से शनि ग्रह एक महीने के लिए अस्त हो चुका है। परंतु इसके साथ ही अब सूर्य ने अपना घर बदल लिया है। ज्योतिष के अनुसार इन दोनों का प्रवेश में धनु राशि में हो रहा है जिससे अशुभ माना जा रहा है। क्योंकि इतना तो सभी जानते हैं कि शनि सूर्य ग्रह से नहीं बनती। इसके पीछे एक पौराणिक कारण है, जिसके अनुसार शनि अपने पिता सूर्य को पसंद नहीं करते। जिस वजह से जातक को इनका साथ हमेशा हानि पहुंचाता है।   
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आपको बता दें कि सूर्य के धनु राशि में आने से कर्क, तुला और कुंभ राशि के जातकों के लिए एक माह का समय शुभ रहेगा। इन तीनों राशि वालों के अटके हुए कार्य बन सकते हैं। आर्थिक समस्या का समाधान हो सकता है। हालांकि सूर्य-शनि का मिलन पितृदोष नामक अशुभ योग भी बनाता है। जिन लोगों की जन्मकुंडली में सूर्य-शनि की युति धनु राशि में है उनके लिए यह समय अशुभ रह सकता है। उन्हें लगभग एक माह तक स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। शनि की साढ़ेसाती और ढैया से परेशान लोगों को इस महीने राहत मिल सकती है। 
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शनि और सूर्य का आमने-सामने आना ज्योतिष में अशुभ माना जाता है और सूर्य के धनु में प्रवेश के साथ ही धनु मलमास लग गया है। इसके साथ ही एक माह के लिए विवाह जैसे शुभ कार्य भी रुक गए हैं। लगभग एक माह इस राशि में रहने के बाद सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेगा, 17 जनवरी से शुभ कार्य दोबारा शुरू हो जाएंगे।

वर्ष 2019 में मंगलवार 15 जनवरी को मकर (तिल) संक्रंति मनाई जाएगी। शुक्ल पक्ष नवमी मंगलवार को ही भगवान भास्कर का राशि परिवर्तन होगा। वे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में पहुंचने पर मकर संक्रांति मनाने की परंपरा है।

हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि की दशा ज़रूर आती है। हर तीस साल पर शनि विभिन्न राशियों में भ्रमण करते हुए फिर से उसी राशि में लौटकर आ जाता है जहां से वह चला होता है। जब शनि व्यक्ति की राशि से एक राशि पीछे आता है तब साढ़ेसाती शुरू हो जाती है। इस समय शनि पिछले तीस साल में किए गए कर्मों एवं पूर्व जन्म के संचित कर्मों का फल देता है।
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जिनकी कुंडली में शनि प्रतिकूल स्थिति में होता है उन्हें साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ता है। शनि के प्रभाव के कारण इन्हें शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक समस्याओं से गुजरना होता है। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि शनि के प्रतिकूल प्रभाव को दूर किया जाए तो शनि दशा के दौरान मिलने वाली परेशानियों में कमी आती है।
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