Motivational Concept: कभी न लें झूठ का सहारा, वरना सफलता से रहेंगे कोसों दूर

Edited By Jyoti,Updated: 24 Jun, 2021 03:10 PM

swami vivekananda preaching in hindi

स्वामी विवेकानंद जी प्रारंभ से ही मेधावी छात्र थे और सभी लोग उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे। जब वह अपने साथी छात्रों को कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे। एक दिन कक्षा में

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स्वामी विवेकानंद जी प्रारंभ से ही मेधावी छात्र थे और सभी लोग उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे। जब वह अपने साथी छात्रों को कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे। एक दिन कक्षा में वह कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे, सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब मास्टर जी कक्षा में आए और पढ़ाना शुरू कर दिया। मास्टर जी ने अभी पढ़ाना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी। ‘कौन बात कर रहा है?’ 

मास्टर जी ने तेज आवाज में पूछा।

सभी छात्रों ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों की तरफ इशारा कर दिया। मास्टर जी क्रोधित हो गए। उन्होंने तुरन्त उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबंधित प्रश्र पूछने लगे। जब कोई भी उत्तर नहीं दे पाया तब मास्टर जी ने स्वामी जी से वही प्रश्र किया, स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों।

उन्होंने आसानी से उस प्रश्र का उत्तर दे दिया। यह देखकर मास्टर जी को यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बातचीत कर रहे थे।

फिर क्या था। उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बैंच पर खड़े होने की सजा दे दी। सभी छात्र एक-एक कर बैंच पर खड़े होने लगे। स्वामी जी ने भी यही किया। मास्टर जी बोले नरेन्द्र तुम बैठ जाओ। नहीं सर, मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वह मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था। स्वामी जी ने आग्रह किया। सभी उनकी सच बोलने की हिम्मत देख बहुत प्रभावित हुए।

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