तेनालीराम ने एेसे किया राजा कृष्ण देव का अंधविश्वास दूर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Mar, 2018 05:31 PM

tenaliram did this so that the superstition of king krishna deva

प्राचीन समय की बात है, राजा कृष्णदेव के राज्य में सुखदेव नामक एक आदमी रहता था। सुखदेव के बारे में ये बात अधिक प्रसिद्ध थी कि जो कोई भी सुबह-सुबह उसका मुख देख लेता, उसे पूरे दिन खाना नसीब नहीं होता। उड़ती-उड़ती यह बात महाराज कृष्णदेव राय के कानों तक...

प्राचीन समय की बात है, राजा कृष्णदेव के राज्य में सुखदेव नामक एक आदमी रहता था। सुखदेव के बारे में ये बात अधिक प्रसिद्ध थी कि जो कोई भी सुबह-सुबह उसका मुख देख लेता, उसे पूरे दिन खाना नसीब नहीं होता। उड़ती-उड़ती यह बात महाराज कृष्णदेव राय के कानों तक पहुंची। महाराज ने सोचा कि यदि ऐसा वाकई है तो इस मामले की जांच करनी चाहिए। यही सोचकर उन्होंने सुखदेव को बुलवाया और रात में खूब खातिरदारी करके अपने कक्ष में ही उसका बिस्तर लगवा दिया। अगले दिन महाराज सुबह उठे और सुखदेव का चेहरा देखा। उसके हालचाल पूछे, फिर अपने रोजाना के कामों में व्यस्त हो गए। किसी काम में वैसे उलझ गए कि उन्हें खाना तो क्या नाश्ता भी न मिला।

 

खैर दोपहर हो गई और महाराज के सामने खाना परोसा गया, लेकिन उनके महल में कोई ऐसी घटना घटी की उन्हें खाना छोड़कर जाना पड़ा। शाम तक इसी तरह की घटनाएं घटती रही और महाराज को खाना नहीं मिला। उसी समय महाराज ने सोचा कि यह इंसान वाकई मनहूस है। उन्होंने तुरंत सिपाहियों को बुलाया और सुखदेव को फांसी चढ़ाने का आदेश दिया। जब यह खबर तेनालीराम के कानों तक पहुंची तो वे निर्दोष सुखदेव के पास पहुंचे और बोले यदि तुम्हें अपनी जान बचाना है तो जैसा में कहता हूं करो। सुखदेव ने कहा- जी आप जैसा कह रहे हैं मैं वैसा ही करूंगा। तेनालीराम वहां से चले गए। शाम को दरोगा आए और उससे पूछा- सुखदेव महाराज का आदेश है कि यदि तुम्हारी कोई आखिरी इच्छा हो तो कहो जरूर पूरी की जाएगी।

 

सुखदेव बोला- दरोगा जी मैं सारी प्रजा के सामने यह बात कहना चाहता हूं कि मैं मनहूस हूं। जो मेरी शक्ल देख लेता है, उसे भोजन नसीब नहीं होता, मगर महाराज मुझसे बड़े मनहूस हैं, मैंने आज सुबह उनकी शक्ल देखी और शाम को मुझे फांसी चढ़ना पड़ रहा है। जाओ दरोगा जी यही मेरी आखिरी इच्छा है।दरोगा ने ये बात जाकर महाराज को बताई। दरोगा कि बात सुनकर महाराज को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने फांसी की सजा रद्द कर दी। सिपाही उसे लेकर आए तो महाराज ने उसे सम्मान सहित अपने पास बैठाया, फिर बड़े ही प्यार से पूछा – सच बताना सुखदेव यह बात तुम्हें कैसे सूझी। सुखदेव ने कहा महाराज तेनालीराम ने मुझे ये तरीका सुझाया।


सीख: इस कहानी से यह ज्ञान मिलता है कि हर इंसान को चाहे वह राजा ही क्यों न हो अंधविश्वास से बचना चाहिए।

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