इस एक मंत्र में छिपा है श्री कृष्ण की अद्भुत लीला का सार

Edited By Jyoti,Updated: 22 Apr, 2020 11:12 AM

the essence of shri krishna wonderful leela is hidden in this one mantra

भगवान श्री हरि विष्णु के यूं तो अनेक रूप हैं परंतु अगर इनकी लीलाधर रूप की बात हो तो एक ही नाम है जो हर किसी के दिल दिमाग में आता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं श्री कृष्ण स्वरूप की।

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भगवान श्री हरि विष्णु के यूं तो अनेक रूप हैं परंतु अगर इनकी लीलाधर रूप की बात हो तो एक ही नाम है जो हर किसी के दिल दिमाग में आता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं श्री कृष्ण स्वरूप की। धार्मिक शास्त्रों में इनकी लीलाओं के अगिनत किस्से हैं। जिनके बारे में हर कोई जानना चाहता है। परंतु आज कल के समय में किसी के पास इतना वक्त नहीं है की वो ग्रंथों को पढ़ सकें। वैसे अगर आज की स्थिति की बात करें तो लॉकडाउन के इस समय में फिलहाल हर कोई फ्री है, अगर कोई चाहे तो धार्मिक शास्त्रों को पढ़ सकता है, मगर यदि आप ये नहीं कर सकते तो चलिए हम आपको एक ऐसी श्लोक बताते हैं जो श्री कृष्ण की अद्भुत लीलाओं का सार माना जाता है। जी हां, बीते कुछ दिनों में हम ने आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से रामायण के श्लोक के बारे में बताया था, जिस 1 श्लोक में संपूर्ण रामायण का सार है। तो वहीं आज हम श्री कृष्ण से जुड़ा ऐसा श्लोक लाएं हैं। 

धर्म शास्त्रों के अनुसार जहां एक ओर श्रीकृष्ण लीला का पाठ व्यक्ति को मुक्ति का मार्ग बताता है, वहीं ये पाठ इंसान के अंदर सही व उचित कार्य करने की प्रेरणा देता है। तो वहीं मान्यता ये भी है कि इसके पाठ से आत्मविश्वास बढ़ने के साथ-साथ नकारात्मकता भी दूर होती है।
धर्म विशेषज्ञ बताते हैं श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा भागवत पुराण में एक श्लोक ऐसा है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसका पाठ संपूर्ण भागवत का फल देता है।
कहा जाता है कि इस श्लोक अथवा मंत्र का रोज़ विधि-विधान से जप करने से संपूर्ण भागवत पढ़ने का फल मिलता है। बता दें इस मंत्र को एक श्लोकी भागवत के नाम से जाना जाता है। 

ये है एक श्लोकी श्रीकृष्ण लीला
आदौ देवकिदेवगर्भजननं गोपीगृहे वधर्नम्
मायापुतनजीवितापहरणं गोवधर्नोद्धारणम्।
कंसच्छेदनकौरवादिहननं कुन्तीतनूजावनम्
एतद्भागवतं पुराणकथितं श्रीकृष्णलीलामृतम् ||

जप विधि-
सबसे पहले प्रातः जल्दी नहाकर, स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र का विधिवत पूजन करें।
फिर इसके सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जप करें। मान्यता है प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है। मंत्र जाप करते समय आसन कुश क पर बैठें। मान्यता है एक ही समय, आसन व माला हो तो मंत्र के जल्दी सिद्ध होने के अधिक आसार होते हैं।

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