Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Sep, 2021 02:25 PM
एक बार छत्रपति शिवाजी का कोई सैनिक किसी परम सुंदरी को जबरदस्ती उठा लाया। मन में सोचा कि अपने महाराज शिवाजी को परम लावण्यवती सुंदरी भेंट करूंगा। इस भेंट से महाराज प्रसन्न हो जाएंगे।
The Story of Shivaji Maharaj: एक बार छत्रपति शिवाजी का कोई सैनिक किसी परम सुंदरी को जबरदस्ती उठा लाया। मन में सोचा कि अपने महाराज शिवाजी को परम लावण्यवती सुंदरी भेंट करूंगा। इस भेंट से महाराज प्रसन्न हो जाएंगे। फलस्वरूप मुझे कोई अच्छा पद मिलेगा।
इस विचार से वह सैनिक उस युवती को शिवाजी के पास लाया। पालकी से रोने और चिल्लाने की आवाज आ रही थी। शिवाजी बाहर आए, रोने का कारण पूछा।
सैनिक ने कहा, ‘‘महाराज! इस परम सुंदरी को आपकी सेवा के लिए लाया हूं।’’
महाराज शिवाजी कड़क कर बोले, ‘‘अरे दुष्ट! अधम! नीच! इस बहन को यहां क्यों लाया?’’
शिवाजी के इस शब्दों को सुनकर सैनिक ऐसे सुन्न हो गया मानो किसी सांप ने डस लिया हो। काटे से खून न निकले। भय के मारे थर-थर कांपने लगा। उदार शिवाजी ने कहा, ‘‘जाओ, अभी इस रमणी को आदर सहित पालकी में बिठा कर उचित स्थान पर पहुंचाओ।’’
आगे बढ़ कर शिवाजी ने उस सुंदरी के सौंदर्य को देखा। उन्होंने विचार किया- ‘‘काश! मैं इस रमणी के उदर से पैदा होता। धन्य हैं ऐसे महापुरुष। जिन्होंने उस रमणी में मातृत्व एवं भगिनी भाव का दर्शन किया।’’