पीड़ित व्यक्ति को भी मुस्कान मिलेगी: जीओ गीता के संग, सीखो जीने का ढंग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 01:58 PM

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चिकित्सा- मानवता की सेवा  गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी सुख बांटो-सुख पाओ आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुन। सुखं वा यदि वा दुखं स योगी परमो मत:।। —गीता 6/32 आत्मौपम्येन्, सर्वत्र, समम्, पश्यति, य:, अर्जुन, सुखम्, वा, यदि, वा,...

चिकित्सा- मानवता की सेवा 
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी
सुख बांटो-सुख पाओ


आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुन। सुखं वा यदि वा दुखं स योगी परमो मत:।। —गीता 6/32

आत्मौपम्येन्, सर्वत्र, समम्, पश्यति, य:, अर्जुन,
सुखम्, वा, यदि, वा, दुखम, स:, योगी, परम:, मत:।।


भावार्थ :
जो चेतना मेरे जीवन की संजीवनी है वही सब में है इसलिए आत्मीयता के भाव से दूसरे के सुख को अपना सुख तथा दूसरे के दुख में अपना दुख मानने वाला ही परम श्रेष्ठ योगी है!


व्याख्या: बिजली के उपकरण अनेक हैं। सबका अपना-अपना कार्य और प्रभाव है लेकिन उन सबमें विद्युत धारा एक ही है। सबके प्रति सबके साथ आत्मीयता एवं अपनेपन के गीता सिद्धांत को इसी भाव से समझें।


इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण का बहुत प्रेरक, बहुत प्यारा अपनत्व भरा संकेत देखें- जो समस्त प्राणियों को सम देखता है, अर्थात जो आत्मचेतना, दैवी शक्ति मेरे शरीर को चला रही है वही सब शरीरों में है।


इसी अपनेपन में स्वाभाविक अनुभव होगा, किसी का सुख अपना सुख तथा किसी की पीड़ा अपनी पीड़ा। किसी को पीड़ित या दुख-कष्ट की स्थिति में देखकर कभी एक क्षण के लिए यह विचार बनाएं-यदि यह कष्ट मुझे होता तो...उसी क्षण भीतर से उपजी संवेदना, करुणा एवं अपनत्व की पराकाष्ठा रूप भावना को देखें, पढ़ें- उस आधार पर अपने इस व्यवसाय को आगे बढ़ाएं।


व्यवसाय भी होगा, सेवा भी होगी। धन भी मिलेगा, धर्म भी स्वत: सिद्ध होगा। यश भी बढ़ेगा, आत्मसंतुष्टि भी अनुभव होगी। पीड़ित व्यक्ति को भी मुस्कान मिलेगी और प्रतिक्रिया में आपको भी शाश्वत मुस्कान। यही नहीं मानवता भी मुस्कुराएगी और अपने तथा रोगी में निवास करने वाले भगवान भी मुस्कुरा कर कह देंगे- सयोगी परमो मत: (मेरी दृष्टि में इस भाव से अपना कार्य करने वाला श्रेष्ठ योगी है)!


आपको अवश्य लग रहा होगा कि भगवद्गीता की सोच कितनी उदार, खुली और वंदनीय है। इसीलिए तो सबसे यह आग्रह है-आओ, गीता पढ़ें, हर क्षेत्र में आगे बढ़ें।   

 (क्रमश:)

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