Edited By Jyoti,Updated: 30 Apr, 2019 02:00 PM
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार हैं जिनमें से एक है परशुराम भगवान। ये श्रीहरि के प्रमुख अवतारों में से एक है। जैसे नारायण का रूप अति शांतमय है वहीं इनका ये अवतार अधिक क्रोधी है।
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार हैं जिनमें से एक है परशुराम भगवान। ये श्रीहरि के प्रमुख अवतारों में से एक है। जैसे नारायण का रूप अति शांतमय है वहीं इनका ये अवतार अधिक क्रोधी है। शास्त्रों में बताया गया है कि इनके क्रोध की कोई सीमा नहीं थी, जिस कारण इन्हें आवेशावतार भी कहा जाता है। ज्योतिष के मुताबिक परशुराम जी का अवतरण वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन हुआ था। इस दिन को परशुराम जयंती के तौर पर देशभर के कई हिस्सों में मनाया जाता है। साथ ही इस दिन सर्वब्राह्मण का जुलूस, सत्संग आदि आयोजित होते हैं। कहते हैं भगवान परशुराम जी का रामायण से लेकर महाभारत तक अहम रोल रहा है। चलिए जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें-
जमदग्नि और रेणुका की पांचवी संतान थे परशुराम
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रसेनजित की कन्या रेणुका जमदग्नि की पत्नी थी। परशुराम इन्हीं दोनों की पांचवी संतान थे। बता दें कि ये भगवान विष्णु के छठें अनतार थे।
कैसे बने परशुराम
कुछ किंवदंतियों के अनुसार भगवान परशुराम के जन्म का नाम राम माना जाता है। तो वहीं कुछ जगहों पर इन्हें रामभद्र, भार्गव, भृगुपति, जमदग्न्य, भृगुवंशी आदि नामों से जाना जाता है। कहते हैं इन्होंने पापियों के संहार के लिए भगवान शिव की कड़ी तपस्या करके उनसे युद्ध कला में निपुणता के गुण वरदान स्वरूप प्राप्त किए थे। इन्हें शिव जी से अद्वितीय शस्त्र भी प्राप्त हुए थे जिनमें से एक है का एक का नाम परशु था। कहा जाता है परशु धारण करने के कारण ही इनका नाम परशुराम पड़ा था।
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कहां हुआ था भगवान परशुराम का जन्म
लोक मान्यता की मानें तो मध्यप्रदेश के इंदौर के पास स्थित महू से कुछ ही दूरी पर जानापाव की पहाड़ी पर भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। यहां परशुराम के ऋर्षि जमदग्नि का आश्रम था। इंदौर के पास ही मुंडी गांव में रेणुका पर्वत पर माता रेणुका का निवास स्थान था। जानापाव से दो दिशा में नदियां बहतीं हैं जो चंबल में होती हुईं यमुना और गंगा से मिलती हैं और बंगाल की खाड़ी में जाती हैं।