Edited By Lata,Updated: 08 Jan, 2020 03:46 PM
आज के समय में हर कोई चाहता है कि वह अपनी लाइफ एक बहेतर तरीके से जिए और उसके लिए वह कईं
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज के समय में हर कोई चाहता है कि वह अपनी लाइफ एक बहेतर तरीके से जिए और उसके लिए वह कईं प्रयास भी करता है। शास्त्रों में अच्छे और सुखी जीवन के लिए बहुत सी बातों के बारे में बताया गया है, जिनका पालन करना हर किसी के लिए जरूरी माना गया है। आज हम आपको ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताए गए कुछ ऐसे नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका पालन स्त्री व पुरुष दोनों को करना चाहिए।
हिन्दी पंचांग के अनुसार किसी भी माह की अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि पर स्त्री संग, तेल मालिश और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे जीवन में नकरात्मकता आती है।
दीपक, शिवलिंग, शालिग्राम, मणि, देवी-देवताओं की मूर्तियां, यज्ञोपवीत, सोना और शंख को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इन्हें नीचे रखने से पहले कोई कपड़ा बिछाएं या फिर बाजार से इनके लिए सामान मिलता है और ये संभंव न हो तो इन्हें किसी ऊंचे स्थान पर रखें।
दिन के समय और सुबह-शाम पूजन के समय स्त्री और पुरुष को समागम नहीं करना चाहिए। जो लोग यह काम करते हैं, उन्हें महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है और इसके साथ ही कई प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है।
पुरुषों को कभी भी पराई स्त्रियों को बुरी नजर से नहीं देखना चाहिए। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार ये काम विनाश की ओर ले जाते हैं। इनसे दरिद्रता बढ़ती है।
जो स्त्रियां अपने पति के साथ झगड़ा करती हैं और उनकी आज्ञा का पालन नहीं करती या सम्मान नहीं करती हैं, उनके पुण्य कर्मों का क्षय होता है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार जो स्त्रियां वाणी द्वारा दुख पहुंचाती हैं वे अगले जन्म में कौए का जन्म पाती हैं।