यहां करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहाग‍िनें हो जाती हैं व‍िधवा, आखिर क्‍या है इस जगह का रहस्य?

Edited By Jyoti,Updated: 06 Oct, 2022 04:28 PM

these villages of haryana karwa chauth is not celebrated

प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा‬ चौथ‬ का व्रत सुहागिनों के ल‍िए क‍िसी महापर्व से कम नहीं माना जाता। पूरे देश में यह व्रत एक त्‍योहार की तरह ही मनाया जाता है। लेक‍िन क्या

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प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा‬ चौथ‬ का व्रत सुहागिनों के ल‍िए क‍िसी महापर्व से कम नहीं माना जाता। पूरे देश में यह व्रत एक त्‍योहार की तरह ही मनाया जाता है। लेक‍िन क्या आपको पता है हमारे देश में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां त्योहार की तरह मनाए जाने वाला ये व्रत नहीं रखा जाता। यही नहीं कहा तो यह भी जाता है क‍ि अगर इन स्‍थानों पर कोई सुहाग‍िन स्‍त्री यह व्रत कर रख लें तो वह व‍िधवा हो जाती है। इससे पहले आप सोच में पड़ जाए कि आखिर कहां ये जगह चलिए आपको बताते हैं कहां है ये स्थान और क्या है इससे जुड़ी प्रचलित किंवदंतियां- 

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ज‍िस जगह की बात कर रहे हैं वह हरियाण के करनाल के तीन गांव कतलाहेडी, गोंदर और औंगद हैं। इन जगहों पर अरसे से करवा चौथ का पर्व नहीं मनाया गया है। स्‍थानीय लोगों की मान्यता है कि इन जगहों की सुहाग‍िन स्त्रियां अगर करवा चौथ का व्रत कर लें तो उनका सुहाग उजड़ जाता है। कथा के अनुसार इस गांव में रहने वाले लोगों के परिवार शाप‍ित हैं और अरसे पहले हुई भूल का आज भी पश्चाताप कर रहे हैं। हालांकि इन गांवों की बेट‍ियों का व‍िवाह अगर क‍िसी दूसरे गांव में हो जाए तो वह करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं। तब उनके सुहाग पर क‍िसी तरह का संकट नहीं आता।

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हर‍ियाणा के इन तीन गांवों में करवा चौथ को लेकर एक कथा म‍िलती है। इसके मुताब‍िक तकरीबन 600 साल पहले राहड़ा की लड़की की शादी ओगन्ध के एक युवक से हुई थी। मायके में करवा चौथ से पहले की रात उसे सपना आया कि उसके पति की हत्या हो गई है और उसका शव मक्के  की गठरियों में छुपाकर रखा गया है। उसने यह बात मायके वालों को बताई। मायके वाले उसे लेकर करवा चौथ के दिन ओगन्ध गांव पहुंचे। वहां पति के न मिलने पर उसने लोगों को सपने वाली बात बताई। उसके बताए जगह पर लोगों ने देखा कि उसके पति का शव पड़ा है।

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कहते हैं क‍ि उस स्‍त्री ने उस दिन उसने करवा चौथ का व्रत रख रखा था, इसलिए उसने घर में अपने से बड़ी महिलाओं को अपना करवा देना चाहा तो उन्होंने लेने से मना कर दिया। इससे व्यथित होकर वह करवा सहित जमीन में पति के साथ सती हो गई और उसने शाप दिया कि यदि भविष्य में इस गांव की किसी भी बहु ने करवा चौथ का व्रत किया तो उसका सुहाग उजड़ जाएगा। मान्‍यता है तब से ही इस गांव की सुहागिन स्त्रियों ने व्रत रखना छोड़ द‍िया। हालांक‍ि औंगद गांव से कुछ सालों बाद कतला हेड़ी  गोंदर  से अलग हो गए। लेक‍िन उनके वंशज ओगन्ध  के थे, इसलिए यहां भी उस परंपरा का न‍िर्वहन क‍िया जाता है। ओगन्ध गांव में ही उस महिला का सती मन्दिर बनाया गया और उसकी मूर्ति रखी गई करवा चोथ के दिन  मन्दिर में मत्था देखा जाता है। 

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