Kundli Tv- कुछ एेसी थी महाभारत के इन पात्रों की अंतिम इच्छाएं

Edited By Jyoti,Updated: 26 Aug, 2018 02:14 PM

these were the last desires of mahabharata main character

महाभारत एक एेसा महाकाव्य या महाग्रंथ है जिसकी जितनी चर्चा की जाए कम है। आज हम आपको महाभारत के एेसे प्रमुख पात्रों से संबंधित कुछ एेसी ही बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही किसी को पता होगा।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
महाभारत एक एेसा महाकाव्य या महाग्रंथ है जिसकी जितनी चर्चा की जाए कम है। आज हम आपको महाभारत के एेसे प्रमुख पात्रों से संबंधित कुछ एेसी ही बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही किसी को पता होगा। हम बात कर रहे हैं महाभारत के प्रमुख पात्र घटोत्कच, विदुर और संजय की अंतिम इच्छाओं के बारे में। कहते हैं इनकी इच्छाएं उस समय की अजीबो-गरीब या कुछ अलग ही थी। आइए जानते हैं इनके बारे में-  
PunjabKesari

भीमपुत्र घटोत्कच
घटोत्कच के युद्ध भूमि में जाने से पहले श्री कृष्ण ने घटोत्कच से कहा पुत्र तुम मुझको बहुत प्रिय हो इसलिए तुम मुझसे जो चाहे वरदान मांग लो। घटोत्कच ने कहा प्रभु युद्ध में मेरी मृत्यु भी हो सकती है। तो अगर मैं वीरगति को प्राप्त हो जाऊं तो मेरे मरे हुए शरीर को न भूमि को समर्पित करना, न जल में प्रवाहित करना, न अग्नि दाह करना। मेरे इस तन के मांस, त्वचा, आंखे, ह्रदय आदि को वायु रूप में परिवर्तित करके अपनी एक फूंक से आकाश में उड़ा देना। अपनी नाम घनश्याम की तरह मुझे उसी घन श्याम में मिला देना और मेरे शरीर के कंकाल को पृथ्वी पे स्थापित कर देना। आने वाले समय में मेरा यह कंकाल महाभारत युद्ध का साक्षी बनेगा।

PunjabKesari
विदुर 
महाभारत युद्ध समाप्त होने के 15 वर्षों बाद धृतराष्ट्र, गांधारी, कुंती, विदुर और संजय ने सन्यास ले लिया और वन में कठोर तप करने लगे । कुछ समय बीतने के बाद युधिष्ठिर पांचों पांडवों के साथ धृतराष्ट्र से मिलने आए। युधिष्ठिर विदुर जी से मिलने के लिए उनके पास आए युधिष्ठिर को देखते ही विदुर जी के प्राण शरीर छोडकर युधिष्ठिर में समाहित हो गए। युधिष्ठिर ने सोचा ये क्या हो गया और मन ही मन श्री कृष्ण को याद करने लगे। श्री कृष्ण प्रकट हुए और युधिष्ठिर से बोले, विदुर जी धर्मराज के अवतार थे और तुम स्वयं धर्मराज हो इसलिए विदुर के प्राण तुममें समाहित हो गए। लेकिन अब मैं विदुर जी को दिया हुआ वरदान अर्थात उनकी अंतिम इच्छा पूरी करूंगा। युधिष्ठिर बोले प्रभु पहले विदुर काका का अंतिम संस्कार आप अपने हाथों से कर दो । श्री कृष्ण बोले इनकी अंतिम इच्छा थी कि मेरे मरने के बाद मेरे शव को न जलाना, ना गाड़ना, न जल में प्रवाहित करना। मेरे शव को सुदर्शन चक्र का रूप प्रदान करके धरा पे स्थापित कर देना। हे युधिष्ठर आज मैं उनकी अंतिम इच्छा पूरी करके विदुर जी को सुदर्शन का रूप दे कर यहीं स्थापित करूंगा । श्री कृष्ण ने विदुर को सुदर्शन का रूप देके वहीं स्थापित कर दिया।
PunjabKesari

संजय 
महाभारत युद्ध के बाद कईं वर्षों तक संजय युधिष्ठिर के राज्य में रहे। इसके पश्चात धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती के साथ उन्होंने भी संन्यास ले लिया था। बाद में धृतराष्ट्र की मृत्यु के बाद वे हिमालय चले गए, जहां से वे फिर कभी नहीं लौटे। हिमालय पर संजय ने भगवान कृष्ण का कठिन तप किया । तप से प्रसन्न होकर कृष्ण भगवान प्रकट हुए और संजय से बोले- ये संजय! तुम्हारी तपस्या से मैं बहुत खुश हूँ आज जो चाहे वो मुझसे मांग लो । संजय श्री कृष्ण से बोले- प्रभु महाभारत युद्ध मे मैने अधर्म का साथ दिया है। इस लिए मुझे आप पाहन (पत्थर) बना दो और जब तक आप का पुन: धरती पे अवतार ना हो तब तक इसी हिमालय पर पाहन रूप में आप की भक्ति करता रहूँ। भगवान श्री कृष्ण ने संजय को अपने शालग्राम रूप में परिवर्तित करके हिमालय पर स्थापित कर दिया ।
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!