Edited By Lata,Updated: 03 Oct, 2019 10:24 AM
योगी बनने के लिए क्या करना चाहिए। पहले उपयोगी बनो, फिर योगी बनने का मौका मिल सकता है।
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योगी बनने के लिए क्या करना चाहिए। पहले उपयोगी बनो, फिर योगी बनने का मौका मिल सकता है। उपयोगी वही बन सकता है जो अध्यात्म से जुड़ा है, जिसका मन दूसरों के दुख को देखकर द्रवित होता है। उपयोगी बनने के लिए जीवन में 3 गुणों का होना जरूरी है। पहला प्रेम, दूसरा त्याग और तीसरा सेवा। जिसमें ये तीनों गुण हैं वह योगी बन सकता है।
भक्ति मार्ग के आचार्य स्वामी रामानुजाचार्य के पास एक बार एक युवक आया और बोला, ''मुझे भगवान के दर्शन करने हैं। आप मुझे उनके दर्शन कराओ। आचार्य ने कहा, ''तुम्हें भगवान के दर्शन करने हैंं, तो ठीक है कोई समस्या नहीं है लेकिन तुम पहले मेरे एक प्रश्न का उत्तर दे दो। क्या तुमने जिन्दगी में कभी किसी से प्रेम किया है?''
सवाल सुनकर वह युवक चौंका, फिर उसने आचार्य जी को आश्वस्त करने के भाव से कहा, ''मैं ऐसे झंझट में कभी पड़ा ही नहीं।''
उन्होंने फिर से वही सवाल किया, ''तुम अपने बीते हुए जीवन में झांक कर जवाब दो, क्या जिन्दगी में तुमने कभी किसी से प्रेम किया?''
कुछ देर सोच-विचार करने के बाद युवक ने फिर से वैसा ही जवाब दिया। स्वामी जी ने तीसरी बार भी वही प्रश्न किया, ''अपने बीते हुए जीवन की किताब का हर एक पन्ना पढ़ कर जवाब दो। किसी पन्ने पर ऐसा प्रसंग होगा कि तूने किसी से प्यार किया है।''
तीसरी बार भी उस युवक ने कहा, ''नहीं महाराज, मैंने ऐसी भूल नहीं की।''
उस युवक का यह जवाब सुनकर स्वामी रामानुजाचार्य निराश हो गए और उन्होंने उस युवक से कहा, ''तो फिर मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता क्योंकि जिन्दगी में जिसने कभी किसी से प्रेम नहीं किया वह ईश्वर से क्या प्रेम करेगा, तू अब तक जिन्दा कैसे है? इंसान प्रेम के सहारे ही जीता है, दूसरों को जीना सिखाता है। प्रेम का मतलब बाहरी आकर्षण नहीं। जहां प्रेम है वहां त्याग है। समर्पण प्रेम की शर्त नहीं, प्रेम का स्वभाव है।''