Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Jun, 2019 10:48 AM
विद्वान राजा टोडरमल ने अपने ग्रंथ ‘मोक्षमार्ग’ के लिए दिन-रात एक कर दिया था। पूरा ध्यान पठन-पाठन और लेखन पर केंद्रित कर लिया था। उन दिनों उन्हें पता ही नहीं चला कि दिन, महीने, वर्ष कैसे बीत गए।
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विद्वान राजा टोडरमल ने अपने ग्रंथ ‘मोक्षमार्ग’ के लिए दिन-रात एक कर दिया था। पूरा ध्यान पठन-पाठन और लेखन पर केंद्रित कर लिया था। उन दिनों उन्हें पता ही नहीं चला कि दिन, महीने, वर्ष कैसे बीत गए। लंबे अंतराल के बाद एक दिन वह अपनी मां के साथ भोजन करने बैठे। मां ने बड़े प्रेम से टोडरमल को सब्जी परोसी, चपातियां दीं। टोडरमल ने एक टुकड़ा खाया, दूसरा टुकड़ा खाया और वह अचानक रुक गए।
मां ने पूछा, ‘‘बेटा! क्या बात है? क्या आज तुम्हें सब्जी अच्छी नहीं लग रही है?’’
टोडरमल ने सहजता से जवाब दिया, ‘‘नहीं मां, ऐसी बात नहीं है। मुझे लग रहा है कि आज आप सब्जी में नमक डालना भूल गई हैं।’’
बेटे की बात सुनकर मां हैरानी से देखने लगीं।
इस पर टोडरमल ने पूछा, ‘‘मां, क्या मैंने कोई गलत बात कह दी? आप मुझे इतनी हैरानी से क्यों देख रही हैं?’’
यह सुनकर मां मुस्कुराकर बोलीं, ‘‘बेटा, मैं तेरे सवाल का जवाब अवश्य दूंगी। पहले मुझे यह बता कि क्या आज तेरा ग्रंथ पूरा हो गया?’’
टोडरमल प्रसन्न होकर बोले, ‘‘हां मां! आज मेरा ग्रंथ पूरा हो गया, तभी तो मैं चैन की सांस ले पा रहा हूं।’’
फिर बोले, ‘‘लेकिन मां तुम्हें यह कैसे पता चला कि मेरा ग्रंथ पूरा हो गया? मैंने तो अभी इस बारे में तुम्हें कुछ बताया ही नहीं।’’
मां बोलीं, ‘‘बेटा, दरअसल मैं कई दिनों से सब्जी में जान-बूझकर कुछ कमी छोड़ती थी कि इसी बहाने तुम मुझसे कुछ देर बातें कर लोगे लेकिन तुम अपने काम में इतने मगन थे कि तुम्हें सब्जी की कमी का पता ही नहीं चलता था।’’
सच ही कहा गया है, किसी भी काम को पूरी लगन से करना चाहिए, सफलता जरूर मिलती है। दुनिया में बड़े काम करने वाले महान लोगों ने ऐसी तन्मयता और लगनशीलता का परिचय देते हुए ही अपने लक्ष्य को हासिल किया है।