मंगल की ये चाल बदल देती है जीवन की चाल

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Jan, 2019 12:02 PM

this move of mars changes the way of life

जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की शुभ स्थिती चल रही होती है तो वह बेहद सक्सेस पाता है। जब ये उल्टी चाल चलने लग जाए तो व्यक्ति के बुरे दिनों का आरंभ हो जाता है। जिनकी कुंडली में मंगल शुभ स्थिति में होते हैं,

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PunjabKesariजब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की शुभ स्थिती चल रही होती है तो वह बेहद सक्सेस पाता है। जब ये उल्टी चाल चलने लग जाए तो व्यक्ति के बुरे दिनों का आरंभ हो जाता है। जिनकी कुंडली में मंगल शुभ स्थिति में होते हैं, वे बहुत बहादुरी वाले काम करते हैं, इसके विपरीत यदि मंगल नीच के हैं या पाप ग्रहों से प्रभावित होते हैं तो जातक के गलत कामों में फंसने की संभावनाएं पाई जाती है। चौथे भाव के मंगल शास्त्रों में अशुभ माने गए हैं।

PunjabKesariज्योतिष शास्त्र में मंगल को नवग्रहों का सेनापति कहा गया है। मंगल की प्रधानता वाले जातक साहसी, स्वस्थ और आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं। ये अपने सिद्धांतों एवं फैसलों पर स्थिर रहते हैं। हमारे शास्त्रों में मंगल को भूमि पुत्र भी कहा गया है।  सूर्य, चंद्र, बृहस्पति इनके मित्र ग्रह हैं एवं इनके साथ युति शुभ मानी गई है जबकि बुध एवं राहु इनके शत्रु हैं।

विवाह के मामलों में मंगल की विशेष भूमिका होती है। जिन जातकों के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव में मंगल हो, तो ऐसे जातक को मांगलिक कहा जाता है एवं इनके रिश्ते उसी जातक से किए जाते हैं जो मांगलिक हो। शास्त्रों में मांगलिक दोषों का तोड़ भी बताया गया है।

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मंगल प्रधान जातकों का भाग्योदय देरी से होता है। यदि कोई जातक शारीरिक समस्याओं से घिरा रहता है, ऋण चढ़ना, जिगर के रोग, होंठ निरंतर फटना या नीचे के होंठ का फटना आदि हों तो समझें मंगल उचित परिणाम नहीं दे रहे हैं। भाइयों से आपसी विवाद, अचल संपत्ति को लेकर झगड़ा-फसाद या कोर्ट-कचहरी में उलझना, अग्नि प्रकोप आदि अशुभ मंगल के कारण होता है।

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यदि किसी जातक को मंगल ग्रह के विपरीत परिणाम प्राप्त हो रहे हैं तो उनकी अशुभता को दूर करने के लिए ये उपाय करने चाहिएं-
मंगल के देवता हनुमान जी हैं, अंत: मंदिर में लड्डू या बूंदी का प्रसाद वितरण करें। हनुमान चालीसा, हनुमत-स्तवन, हनुमद्स्तोत्र का पाठ करें। विधि-विधानपूर्वक हनुमान जी की आरती एवं शृंगार करें। हनुमान मंदिर में गुड़-चने का भोग लगाएं।

यदि संतान को कष्ट या नुक्सान हो रहा हो तो नीम का पेड़ लगाएं, रात को सिरहाने जल से भरा पात्र रखें एवं सुबह पेड़ में डाल दें।

पितरों का आशीर्वाद लें। बड़े भाई एवं भाभी की सेवा करें, फायदा होगा।

लाल कनेर के फूल, रक्त चंदन आदि डाल कर स्नान करें।

मूंगा, मसूर की दाल, ताम्र, स्वर्ण, गुड़, घी, जायफल आदि दान करें।

मंगल यंत्र बनवा कर घर में स्थापित करें।

मूंगा धारण करें।

अन्य उपाय : हमेशा लाल रुमाल रखें, बाएं हाथ में चांदी की अंगूठी धारण करें, कन्याओं की पूजा करें और स्वर्ण न पहनें, मीठी तंदूरी रोटियां कुत्ते को खिलाएं, ध्यान रखें, घर में दूध उबल कर बाहर न गिरे।

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