Kundli Tv- खुशनुमा जीवन के है ये तीन मूल-मंत्र

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Nov, 2018 05:12 PM

three mool mantra

पहाड़ जैसी बात को रुई समान बनाने के लिए दुआओं का खाता जमा करना बहुत जरूरी है। दुआ और बद्दुआ ऐसी चीजें हैं, जो दिखती नहीं हैं परन्तु लगती जरूर हैं। उदाहरण के लिए हम देखते हैं

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पहाड़ जैसी बात को रुई समान बनाने के लिए दुआओं का खाता जमा करना बहुत जरूरी है। दुआ और बद्दुआ ऐसी चीजें हैं, जो दिखती नहीं हैं परन्तु लगती जरूर हैं। उदाहरण के लिए हम देखते हैं कि कई व्यक्ति छोटे-छोटे कार्यों में, विघ्रों से घबरा जाते हैं और कई व्यक्ति बड़ी-बड़ी परिस्थितियों को भी सहज पार कर लेते हैं। कारण है आत्मविश्वास की कमी या आत्मविश्वास की वृद्धि। आत्मविश्वास बनता है दुआओं से और दुआएं मिलती हैं सभी के साथ सच्चा रहने से। दुआएं प्राप्त करने के लिए और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए ये तीन मूल मंत्रों को जरूर प्रयोग में लाएं:
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कृपया
कृपया शब्द जब प्रयोग में लाया जाता है तो खुशी प्रदान करता है। जब भी हमें किसी से कुछ काम कहना है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, तो नम्रता से ही बोलें, जैसे ‘‘कृपया आप मुझे एक कप चाय देंगे? इस मंत्र से काम बनने के 80 प्रतिशत चांस बढ़ जाते हैं। दूसरा व्यक्ति तन के साथ-साथ मन से भी हम से जुड़ जाता है। नहीं तो व्यक्ति यदि तन से हमारे साथ हो पर मन से न हो, तो काम बनाने की बजाय बिगाड़ देता है।’’

यह सच है कि व्यक्ति जब मन से काम करता है तो उसे ज्यादा से ज्यादा सफलता मिलती है। मन में उमंग, उत्साह व खुशी बनी रहती है। सामने वाला व्यक्ति मूड न होने पर भी ‘कृपया’ शब्द सुनकर अपनी शुभ भावनाओं के साथ हमारा सहयोगी बन जाता है।
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धन्यवाद
आज हम देखते हैं कि स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चों को भी ये बातें जरूर सिखाई जाती हैं कि जब आपको कोई चीज दे, आपकी मदद करे, तो उसको शुक्रिया या धन्यवाद बोलें। अगर बच्चा नहीं बोलता तो हम बार-बार कहते हैं, बेटा धन्यवाद बोलो। हम अपने से पूछें, हम ऐसा करते हैं क्या?
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धन्यवाद बोलने से सामने वाला बहुत खुश हो जाता है। हम देखते हैं कि घर में पत्नी सारा दिन कितना भी काम करे या पति कितना भी थका-हारा घर आए लेकिन कोई किसी का धन्यवाद नहीं करता। फिर बच्चे भी माता-पिता से यही सीखते हैं। हमें अपने अंदर से देह-अभिमान को खत्म करना पड़ेगा। तभी हम एक-दूसरे के सहयोगी बनकर आपस में धन्यवाद का प्रयोग कर सकते हैं। धन्यवाद कहना, मानो दुआ देना और दुआ लेना इसलिए धन्यवाद बोलने की अपनी एक आदत बना लें।
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गलती महसूस करना
जब हम से कोई गलती हो जाए और हम ‘गलती हो गई सॉरी’ कहते हैं तो पता चलता है कि हमने अपनी गलती को महसूस किया। दोबारा वह गलती न हो, यह भी पक्का करते हैं। ऐसा कहने से सामने वाला भी शांत हो जाता है और हम भी अंदर से हल्के हो जाते हैं। कहा भी जाता है, गलती इंसान से ही होती है लेकिन महान वह है जो गलती करने के बाद उसको स्वीकार कर ले। गलती स्वीकार करने से दोबारा उस गलती को न करने के चांस बढ़ जाते हैं। गलती छुपाने से और भी ज्यादा गलतियां होती हैं। गलती किसी से भी हो, चाहे छोटा या बड़ा, गलती स्वीकार जरूर करनी चाहिए। इससे हमारे संबंध भी मधुर बन जाते हैं।
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