Edited By Jyoti,Updated: 21 May, 2018 09:16 AM
इटली सदा से कलाकारों का देश रहा है। वहां के कलाकारों ने दुनिया को देखने की नई दृष्टि भी दी है। एक समय की बात है। इटली में डोनाटेली नामक एक शिल्पकार रहता था। डोनाटेली मूल रूप से फ्लोरैंस शहर का रहने वाला था। अपनी कला से उसने कलाप्रेमियों के बीच खूब...
ये नहीं देखा तो क्या देखा
इटली सदा से कलाकारों का देश रहा है। वहां के कलाकारों ने दुनिया को देखने की नई दृष्टि भी दी है। एक समय की बात है। इटली में डोनाटेली नामक एक शिल्पकार रहता था। डोनाटेली मूल रूप से फ्लोरैंस शहर का रहने वाला था। अपनी कला से उसने कलाप्रेमियों के बीच खूब नाम कमाया।
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उसकी बनाई मूर्तियां भी ऐसी होती थीं कि मानो अभी बोल पड़ेंगी। जो भी उसकी बनाई मूर्तियां देखता, बस देखता ही रह जाता। इसी बीच कुछ समय के लिए डोनाटेली इटली के ही पीसा शहर में रहने चला गया। वहां भी उसने एक से बढ़कर एक मूर्तियां बनाईं और खूब प्रशंसा बटोरी। एक समय तो ऐसा आया कि सारा शहर उसका प्रशंसक हो गया था।
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पीसा के हर चौराहे और हर भवन के बाहर उसकी शिल्पकारी के दर्शन होते थे। सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक दिन अचानक डोनाटेली ने ऐलान कर दिया कि अब वह अपनी जन्मभूमि फ्लोरैंस वापस जाना चाहता है और जीवन का बाकी समय भी वहीं गुजारेगा। इससे उसके प्रशंसकों में शोक की लहर फैल गई। जाने से पहले एक दिन उसके प्रशंसक उससे मिलने आए।
उन्हीं में से एक ने पूछा, ‘‘महोदय, आप वहां क्यों जा रहे हैं। क्या हम लोग आपको पर्याप्त सम्मान नहीं दे पा रहे हैं।’’
तब शिल्पकार ने जवाब दिया, ‘‘नहीं भाई, ऐसी कोई बात नहीं। आपके प्रेम से मैं अभिभूत हूं मगर यहां सब मेरी प्रशंसा में ही लगे रहते हैं जिससे मुझे लगता है कि मैं कहीं घमंड में जल्द ही अपनी कला को ही न भूल जाऊं। दूसरी ओर मेरे शहर के लोग निष्ठुरता के साथ मेरी आलोचना करते हैं और मेरे काम में हरदम खोट ही निकालते रहते हैं जिसकी वजह से मुझे अपनी कला को निखारने और कठोर परिश्रम करने की प्रेरणा उत्पन्न होती है इसलिए मेरा अपने शहर वापस जाना ही श्रेयस्कर है।’’