Edited By Jyoti,Updated: 18 Sep, 2019 05:09 PM
पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों व पितरों की पूजा का विधान है। इसके अलावा ब्राह्मणों का भोजन करने की पंरपरा है। हिंदू धर्म में प्रमुख माने जाने वाली क्रिया पिंडदान पितृ तर्पण आदि इसी ही दौरान यानि पितृ पक्ष के चलते ही की जाती है।
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पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों व पितरों की पूजा का विधान है। इसके अलावा ब्राह्मणों का भोजन करने की पंरपरा है। हिंदू धर्म में प्रमुख माने जाने वाली क्रिया पिंडदान पितृ तर्पण आदि इसी ही दौरान यानि पितृ पक्ष के चलते ही की जाती है। हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अपने परिवार के मृत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए व उनकी तृप्ति के लिए श्राद्ध करना ज़रूरी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके अलावा तीन ऐसे वृक्ष हैं जिनकी पितृ पक्ष के दौरान पूजा करनी फलदायी मानी जाती है। आइए जानें कौन से हैं वो वृक्ष-
वैसे तो हिंदू धर्म में सभी वृक्षों को महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां तक कि इनकी पूजा तक का विधान है। मगर पितृ पक्ष में तीन वृक्षों की पूजा करने से पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।
पीपल का वृक्ष-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल का वृक्ष बहुत ही पवित्र है। एक ओर इसमें जहां विष्णु का निवास है वहीं यह वृक्ष रूप में पितृदेव है। पितृ पक्ष में इसकी उपासना करना या इसे लगाना विशेष शुभ होता है।
बरगद का वृक्ष-
हिंदू धर्म में प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार बरगद के वृक्ष में साक्षात शिव निवास करते हैं। कहा जाता है अगर किसी व्यक्ति को लगे कि उसकी पितरों की मुक्ति नहीं हुई है तो बरगद के नीचे बैठकर शिव जी की पूजा करनी चाहिए, इससे पूर्वजों को मुक्ति मिल जाती है।
बेल का वृक्ष-
कहा जाता है पितृ पक्ष में शिव जी का अत्यंत प्रिय बेल का वृक्ष लगाया जाए तो सभी अतृप्त आत्माओं को शांति मिलती है। इसके साथ ही अमावस्या के दिन शिव जी को बेल पत्र और गंगाजल अर्पित करने से भी सभी पितरों को मुक्ति मिलती है। इसके अलावा अशोक, तुलसी, शमी और केल के वृक्ष की भी पूजा करना चाहिए।