Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 08:09 AM
आजकल जब भी समाचार पत्र खोलो, किसी न किसी की आत्महत्या की खबर जरूर पढने को मिलती है। इनमें से अधिकतर लोग युवा होते हैं, अच्छे पढ़े-लिखे होते हैं। उनकी आत्महत्या का प्रमुख कारण आधुनिक जीवन के तनाव होते हैं।
आजकल जब भी समाचार पत्र खोलो, किसी न किसी की आत्महत्या की खबर जरूर पढ़ने को मिलती है। इनमें से अधिकतर लोग युवा होते हैं, अच्छे पढ़े-लिखे होते हैं। उनकी आत्महत्या का प्रमुख कारण आधुनिक जीवन के तनाव होते हैं। आजकल हमें सफलता के लिए इंतजार करने की आदत ही नहीं रही है। हमारे अंदर सहनशीलता ही नहीं रही है। झटपट काम होना चाहिए और तुरंत उसका फल भी मिलना चाहिए। इसी आदत के कारण हर कोई जल्दी निराश और हताश हो जाता है तथा ऐसे में अपना जीवन दाव पर लगाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
हममें से प्रत्येक को अपना जीवन प्यारा होता है। फिर भी क्रोध के आवेश, निराशा में, दुख के समय मौत का विचार हमारे मन में भी कभी न कभी झलक ही जाता है, किंतु दूसरे ही पल हम इस विचार को झटककर दूर फैंक देते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस विचार के साथ थोड़ी देर तक खेलते रहते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जो इस विचार के प्रभाव में आकर आत्मघात कर लेते हैं।
मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति अपने आपको असफल, अपयशी, अक्षम मान लेते हैं और निराशा का विफलता का क्रोध स्वयं पर ही उतारते हैं। अधिकतर यही होता है कि ऐसे व्यक्ति के परिवार के सदस्य, सहकर्मी, दोस्त भी उसकी इस मानसिक स्थिति से अवगत नहीं होते। आत्महत्या तो एक प्रकार से अपने ही विरुद्ध आक्रमण होता है।
आज का युग प्रतियोगिता का है। इससे हर कोई स्वयं को असुरक्षित महसूस करता है। उसके मन में पिछड़ने का डर बैठ जाता है। इस का असर यह होता है कि छोटा-सा व्यक्तिगत अपमान हमारे मर्मस्थल पर प्रहार करता है। हमारा आत्मविश्वास ही कहीं खो जाता है। दूसरों को कष्ट न हो, इसलिए हम अपना क्रोध प्रकट नहीं करते। इसी क्रोध का परिणाम आत्मघात में निकलता है।
इस सब से बचने के लिए हमें अपना शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य संतुलित रखने की कोशिश करनी चाहिए। अपने-आप पर होने वाले भरोसे में वृद्धि करें। जीवन की छोटी-छोटी बातों का पूरे मन से आनंद उठाएं। अपने परिवार के प्रेम के धागे दृढ़ करें। अपने शरीर की मर्यादा को पहचानें।