Tulsi Vivah: दैत्य पत्नी बनी भगवान के मस्तक की शाेभा, रचाएंगे विवाह

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Nov, 2023 03:19 PM

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तुलसी भगवान विष्णु की पत्नी 'लक्ष्मी' का प्रतीक भी है। सदाचारी और सुखी पारिवारिक जीवन बिताने की इच्छा रखने वाले लाेग तुलसी की पूजा करते हैं। तुलसी का विवाह प्रत्येक विवाह की तरह पूरी धूमधाम

Tulsi Vivah 2023 Katha: तुलसी भगवान विष्णु की पत्नी 'लक्ष्मी' का प्रतीक भी है। सदाचारी और सुखी पारिवारिक जीवन बिताने की इच्छा रखने वाले लाेग तुलसी की पूजा करते हैं। तुलसी का विवाह प्रत्येक विवाह की तरह पूरी धूमधाम से भगवान के साथ रचाया जाता है। इसका कारण यह है कि भगवान ने तुलसी काे अपनी पत्नी हाेने का वरदान दिया था।

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Tulsi Vivah 2023 know tulsi vivah vidhi and its significance: पुरातन कथा के अनुसार तुलसी दिव्य पुरूष 'शंखचूड़' दैत्य की निष्ठावान पत्नी वृन्दा थी। भगवान विष्णु ने छल से उसका सतित्व भंग किया था। अत: उसने भगवान काे पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। इस तरह भगवान शालीग्राम रूप में परिवर्तित हो गए। वृन्दा की भक्ति और सदाचारिता की लगन काे देखकर भगवान विष्णु ने उसे वरदान देकर पूजनीय पाैधा 'तुलसी' बना दिया। देवी वृंदा को वरदान दिया की वह सदा श्रीहरि के मस्तक की शाेभा बनेंगी। तुलसी के पत्ताें के बिना प्रत्येक भोग अधूरा रहेगा इसलिए हर सनातन हिंदू तुलसी की पूजा करता है।

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Tulsi Vivah 2023: बहुत से भारतीय घराें में आगे वाले, पीछे वाले अथवा बीच वाले आंगन में एक तुलसी-पीठ हाेता है, जिसमें तुलसी का एक पाैधा लगा रहता है। वर्तमान समय के फ्लैटाें में भी बहुत से लाेग तुलसी का पाैधा एक गमले में लगाकर रखते हैं। गृह-स्वामिनी इसमें दीप जलाती हैं, इसे पानी देती हैं और इसकी पूजा करके प्रदक्षिणा करती हैं। तुलसी का डंठल, उसके पत्ते, बीज और इसके तल की मिट्टी भी पवित्र मानी जाती है। भगवान विष्णु की पूजा में और विशेषकर  उनके अवताराें की पूजा में हमेशा तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाते हैं।

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संस्कृत में कहा गया है-"तुलसी नास्ति अथैव तुलसी"
 
अर्थात जाे बेजाेड़ है, अतुलनीय है वही तुलसी है। हिंदु तुलसी काे सबसे पवित्र पाैधा मानते हैं। वास्तव में यही एक ऐसा पदार्थ है, जाे पूजा में एक बार प्रयुक्त हाेने के पश्चात फिर से धाेकर प्रयाेग में लाया जा सकता है क्याेंकि इसकाे आत्मशुद्धि करने वाला माना जाता है।

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Tulsi Vivah ka shubh muhurat 2023: तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि का प्रारंभ 22 नवंबर को रात 11.03 बजे से शुरू होगा और समापन 23 नवंबर की रात 09.01 बजे होगा।
एकादशी तिथि पर रात्रि पूजा का मुहूर्त शाम 05.25 से रात 08.46 तक है। 

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