दो ऐसे गांव जहां आज भी कायम है ये परंपरा !

Edited By Lata,Updated: 07 Jun, 2019 03:19 PM

two such villages where the tradition still persists

अगर बात की जाए गहरे, सच्चे और पवित्र प्रेम की तो आज भी केवल जुबान पर एक ही नाम आता है और वो है, श्री राधा और कृष्ण का।

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अगर बात की जाए गहरे, सच्चे और पवित्र प्रेम की तो आज भी केवल जुबान पर एक ही नाम आता है और वो है, श्री राधा और कृष्ण का। उनका प्रेम जन्मों जन्मांतर तक पवित्र और कभी न मिटने वाला रहेगा। वृंदावन में आज भी उनके प्यार के किस्से देखने और सुनने को मिलते हैं। वहीं वहां की एक परंपरा है कि बरसाना का एक ही दामाद रहेगा और नंदगांव की एक ही बहु और यही परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसे आज भी वहां के लोग निभा रहे हैं। जिसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।  PunjabKesari, kundli tv, radha krishna love
राधा-कृष्ण के अद्वितीय संबंध के चलते आज भी नंदगांव और बरसाना के निवासियों के मध्य वैवाहिक संबंध नहीं किए जाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि हजारों साल पहले ही यह तय हो गया था कि दोनों गांवों में सिर्फ राधा-कृष्ण का ही प्रेम बरकरार रहेगा। बरसाना का सिर्फ एक ही दामाद रहेगा, वो हैं श्रीकृष्ण और नंदगाव की बहू सिर्फ राधारानी। ऐसा इसलिए था कि अगर नया रिश्ता जोड़ा गया तो लोग इस प्रेम को भूल जाएंगे। उनके इसी प्रेम की धरोहर को आज नंदगांव और बरसाना के लोग सहेजे हुए हैं।

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पांच हजार वर्ष पुराने राधा-कृष्ण के संबंध की मर्यादाओं को आज भी यहां के लोग वैसे ही निभाते चले आ रहे हैं, जैसे उस समय में हुआ करता था। राधा कृष्ण के पौराणिक रिश्ते को मानते हुए बरसाना के वृद्ध लोग आज भी राधारानी के ससुराल यानि नंदगांव की सीमा का पानी तक नहीं पीते। आज के समय में भी बरसाना में बेटी (राधा जी) की ससुराल नंदगांव से आए किसी भी व्यक्ति को धन, द्रव्य के साथ पूरे सम्मान के साथ विदा किया जाता है। दोनों गांवों के बीच कम से कम आठ किलोमीटर का फ़ासला है। ये दोनों गांव ही पहाड़ियों पर बसे हैं और ऊंचाई से देखने पर दोनों एक जैसे ही दिखते हैं। 

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वहां के स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि दोनों गांवों में हर जाति बिरादरी के लोग रहते हैं, लेकिन किसी ने भी आज तक न तो बरसाना में बेटे की शादी की है और न ही नंदगांव में किसी ने अपनी बेटी का विवाह किया। आज भी अगर हम वहां जाएं तो यह परंपरा देखने को मिलती है। नंदगांव बरसाना के निवासी एक-दूसरे के पूरक हैं। हास परिहास स्वरूप नंदगांव के लोग स्वयं को कृष्ण के सखा मानकर वृषभानु के जंवाई के रूप में बरसाना के लोगों से परिहास करते हैं, लेकिन उनके इस परिहास के अंदर भी कृष्ण भक्ति की झलक दिखाई पड़ती है।

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