Edited By Lata,Updated: 10 Nov, 2019 11:26 AM
हिंदू पंचांग के अनुसार वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन से ही भगवान श्री हरि सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान भोलेनाथ सृष्टि का कार्यभार भगवान विष्णु को सौंपकर कैलाश की यात्रा पर निकल पड़ते हैं।
कुछ जगहों पर इस दिन पर हरिहर मिलन सवारी निकाली जाती है। जो अलग-अलग स्थानों, शहरों के विभिन्न मार्गों से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर पर पहुंचती है। वैकुंठ चतुर्दशी पर भक्तजनों का तांता लग जाता है। ठाठ-बाठ से भगवान शिव पालकी में सवार होकर आतिशबाजियों के बीच भगवान भगवान विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचते हैं। वैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन होता है। भगवान शिव व विष्णु जी मिलते हैं एवं जो सत्ता भगवान शिव के पास है, वह विष्णु भगवान को इसी दिन सौंपते हैं।
देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं, इसीलिए इन दिनों में शुभ कार्य नहीं होते। उस समय सत्ता शिव के पास होती है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता विष्णु को सौंप कर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं। जब सत्ता भगवान विष्णु जी के पास आती है तो संसार के कार्य शुरू हो जाते हैं। इसी दिन को वैकुंठ चतुर्दशी या हरि-हर मिलन कहते हैं।