वैसाख अमावस्या कल: ये है पूजन विधि, मुहूर्त और उपाय

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 15 Apr, 2018 09:24 AM

vaishakh amavasya on 16th april 2018

सोमवार दिनांक 16.04.18 को वैसाख मास की अमावस्या मनाई जाएगी। दक्षिण भारत में अमावस्यांत पंचांग के अनुसरण करने वाले वैशाख अमावस्या को शनि जयंती के रूप में भी मनाते हैं। पौराणिक किवदंती के अनुसार कालांतर में धर्मवर्ण नामक ब्राह्मण ने ईश्वर भक्ति के करण...

सोमवार दिनांक 16.04.18 को वैसाख मास की अमावस्या मनाई जाएगी। दक्षिण भारत में अमावस्यांत पंचांग के अनुसरण करने वाले वैशाख अमावस्या को शनि जयंती के रूप में भी मनाते हैं। पौराणिक किवदंती के अनुसार कालांतर में धर्मवर्ण नामक ब्राह्मण ने ईश्वर भक्ति के करण सांसारिकता से विरक्त होकर सन्यास ले लिया। एक दिन भ्रमण करते-करते वह पितृलोक जा पंहुचा, जहां उसके पितृ बहुत कष्ट में थे। पितृओं ने अपनी इस दुर्दशा का करण धर्मवर्ण के सन्यास को बताया। धर्मवर्ण के सन्यास के कारण उनकी वंशज प्रणाली समाप्त होने के करण पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है। पितृओ की आज्ञा का पालन करते हुए धर्मवर्ण ने गृहस्थ जीवन की शुरुआत कर संतान उत्पन्न की व वैशाख अमावस्या पर विधि-विधान से पितृओं का पिंडदान कर उन्हें मुक्ति दिलाई। 


सोमवार होने के कारण यह अमावस्या सोमवती कहलाएगी। सोमवती अमावस्या को शास्त्रों ने अमोघ फलदायनी कहा है। मत्स्यपुराण के अनुसार पितृओं ने अपनी कन्या आच्छोदा के नाम पर आच्छोद नामक सरोवर का निर्माण किया था। इसी सरोवर पर आच्छोदा ने पितृ नामक अमावस से वरदान पाकर अमावस्या पंचोदशी तिथि को पितृओं हेतु समर्पित किया। शास्त्रनुसार इस दिन कुश को बिना अस्त्र शस्त्र के उपयोग किए उखाड़ कर एकत्रित करने का विधान है। अतः इस दिन एकत्रित किए हुए कुश का प्रभाव 12 वर्ष तक रहता है। यह दिन पितृ के निमित पिण्डदान, तर्पण, स्नान, व्रत व पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन तीर्थ के नदी-सरोवरों में तिल प्रवाहित करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन मौन व्रत रखने से सहस्र गोदान का फल मिलता। सोमवती अमावस्या पर शिव आराधना का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागने पति की दीर्घायु के लिए पीपल में शिव वास मानकर अश्वत का पूजन कर परिक्रमा करती हैं। आज के विशेष पूजन से सर्वार्थ सफलता मिलती है, पितृ दोष से मुक्ति मिलती है तथा सुहाग की रक्षा होती है। 


विशेष पूजन: शिवलिंग व पीपल के निमित पूजन करें। तिल के तेल का दीप करें, चंदन से धूप करें, सफ़ेद चंदन चढ़ाएं, सफ़ेद तिल चढ़ाएं, दूध चढ़ाएं, सफ़ेद फूल चढ़ाएं, खीर का भोग लगाकर 108 बार विशिष्ट मंत्र जपें। इसके बाद खीर गरीबों में बाटें।

पूजन मंत्र: वं वृक्षाकाराय नमः शिवाय वं॥
पूजन मुहूर्त: प्रातः 09:30 से प्रातः 10:30 तक।


उपाय
सर्वार्थ सफलता के लिए पीपल पर दूध चढ़ाएं। 


सुहाग की रक्षा के लिए पीपल पर की 7 परिक्रमा करें।


पितृ दोष से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर चढ़े तिल जलप्रवाह करें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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