Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 May, 2020 03:26 PM
इस ब्रह्मांड में सूर्य के बाद बृहस्पति दूसरे सबसे विशाल ग्रह हैं। सभी देवों के गुरु कहलाने वाले बृहस्पति ज्योतिष शास्त्र में भी बहुत महत्व रखते हैं। इन्हें अध्यात्म का कारक माना जाता है और इन्हें दार्शनिक का दर्जा भी दिया गया है।
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Vakri guru in makar rashi: इस ब्रह्मांड में सूर्य के बाद बृहस्पति दूसरे सबसे विशाल ग्रह हैं। सभी देवों के गुरु कहलाने वाले बृहस्पति ज्योतिष शास्त्र में भी बहुत महत्व रखते हैं। इन्हें अध्यात्म का कारक माना जाता है और इन्हें दार्शनिक का दर्जा भी दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि देव गुरु बृहस्पति हमारे आध्यात्मिक ज्ञान व बुद्धि को निर्देशित करते हैं और जिस जातक पर यह प्रसन्न होते हैं, उसे जिंदगी में किसी भी चीज की कमी नहीं रहती। समाज में खूब यश व सम्मान मिलता है।
बृहस्पति एकमात्र ऐसे ग्रह है जो वक्री अवस्था यानी अपनी उल्टी चाल में भी बहुत सी राशि के जातकों को लाभ दे जाते हैं। कर्क राशि में यह उच्च के व मकर राशि में नीच के होते हैं। धनु व मीन इनकी अपनी राशियां हैं।
देव गुरु बृहस्पति उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के द्वितीय चरण व मकर राशि में गोचर करते हुए 14 मई को शाम 7:00 बज कर 56 मिनट पर 122 दिनों के लिए वक्री हो रहे हैं और 13 सितंबर को सुबह 6:10 पर यह पुनः मार्गी होंगे। इस गोचर के दौरान बृहस्पति जिन जातकों पर मेहरबान रखेंगे, उन्हें न केवल बिजनेस में बल्कि अपने कार्य क्षेत्र में भी खूब लाभ मिलेगा। ऐसे जातक जीवन में उधेड़बुन से बाहर आकर सही निर्णय लेने में कामयाब रहेंगे। धनु व मीन राशि के स्वामी देव गुरु बृहस्पति का वक्री होना विभिन्न क्षेत्रों में कई तरह के बदलाव भी लेकर आएगा। देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार के संकेत मिलने लगेंगे।
गुरमीत बेदी
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