Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Aug, 2023 07:42 AM
आज के समय में ऐसा कौन है ? जो माता लक्ष्मी को प्रसन्न नहीं करना चाहता। हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को धन, सम्पदा और समृद्धि की देवी माना जाता है। इस कलयुग में सब पैसा कमाने की
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Varad Laxmi Vrat 2023: आज के समय में ऐसा कौन है ? जो माता लक्ष्मी को प्रसन्न नहीं करना चाहता। हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को धन, सम्पदा और समृद्धि की देवी माना जाता है। इस कलयुग में सब पैसा कमाने की होड़ में लगे हुए हैं और जिस पर माता लक्ष्मी की कृपा हो जाए उसको आर्थिक तंगी कभी नहीं सताती। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रावण माह के शुक्ल पक्ष को पूर्णिमा से पहले आने वाले शुक्रवार को वरलक्ष्मी का व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 25 अगस्त के दिन पड़ रहा है। जैसा की नाम से पता चलता है वरलक्ष्मी मतलब वर देने वाली लक्ष्मी, जो भक्तों की समस्त इच्छाओं को पूरा करती हैं। वरलक्ष्मी को माता लक्ष्मी के 8 स्वरूपों में से एक माना जाता है। वरलक्ष्मी देवी का अवतार दूधिया महासागर से हुआ, जो क्षीर सागर के नाम से भी जाना जाता है।
Varad laxmi vrat katha: एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शंकर ने माता पार्वती को इस व्रत का महत्व बताते हुए बोला, मगध देश में कुंडी नाम का एक नगर था। वहां एक आदर्श स्त्री चारुमती रहती थी, जो अपने परिवार की देखभाल कर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी। चारुमती माता लक्ष्मी की बहुत बड़ी भक्त थी। एक रात्रि माता लक्ष्मी ने चारुमती के स्वप्न में आ कर वरलक्ष्मी व्रत का विधान बताया। चारुमती ने अपने आस-पास की सभी महिलाओं के साथ यह व्रत विधि-विधान से किया। जिस से उनके घर स्वर्ण से भर गए और उन सभी के परिवार वालों को सुख-समृद्धि प्राप्त हुई।
Varad laxmi puja vidhi: इस दिन प्रातः जल्दी उठ कर घर की साफ़-सफाई करनी चाहिए। नित्य क्रिया से निवृत हो कर पूजा स्थान को गंगा जल से पवित्र करना चाहिए। माता लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना कर उनको नए वस्त्र, कुमकुम और जेवरों से सजाएं, साथ ही एक कलश भी स्थापित करें। कलश के चारों ओर चन्दन लगाएं। पान, सुपारी, आम के पत्ते, हल्दी, कुमकुम, नारियल सब कलश को अर्पित करें। माता के प्रसाद के रूप में सामर्थ्य अनुसार फल, मिष्ठान अर्पित करें। धूप-दीप कर वरलक्ष्मी व्रत की कथा पढ़ें। व्रती दिन भर निराहार रहे।
इस प्रकार पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जीवन में कभी भी धन का आभाव नहीं होता और सुख-समृद्धि में निरंतर वृद्धि होती रहती है।
आचार्य लोकेश धमीजा
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