रक्षा बंधन से पहले आ रहा है वर लक्ष्मी व्रत, जानिए मुहूर्त व पूजन विधि

Edited By Jyoti,Updated: 06 Aug, 2019 03:46 PM

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पैसा, ये एक ऐसा शब्द है जिसका प्रत्येक इंसान की लाइफ में बहुत अहमियत रखता है। इसके बिना किसी का जीवन संभव नहीं है। बल्कि अपनी जीवनी को चलाने के लिए पैसा होना बहुत ज़रूरी है।

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पैसा, ये एक ऐसा शब्द है जिसका प्रत्येक इंसान की लाइफ में बहुत अहमियत रखता है। इसके बिना किसी का जीवन संभव नहीं है। बल्कि अपनी जीवनी को चलाने के लिए पैसा होना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए लोग कड़ी मेहनत के साथ-साथ कई तरह के उपाय, हवन व यज्ञ आदि करवाते हैं। ताकि उनको अपनी इच्छानुसार धन प्राप्त हो। मगर आज के समय में इसे पाना दिन भर दिन कठिन होता जा रहा है। इंसान चाहे जितना भी परिश्रम कर ले मगर वो इसे हासिल करने में सफल नहीं हो पाता। तो क्या आपका नाम भी इन लोगों की सूची में शामिल है तो आपको बता दें कि आपके अच्छे दिन आने वाले हैं। अब सोच रहे होंगे कि ऐसे कैसे होगा। तो बता दें कि साल में एक दिन ऐसा होता है जिस दिन देवी लक्ष्मी पूरी मेहरबान होती हैं। जी हां, ये दिन होता है वर लक्ष्मी व्रत का दिन।
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हिंदू धर्म के शास्त्रों में वरलक्ष्मी व्रत देवी लक्ष्मी से धन की प्राप्ति का आशीर्वाद पाने का दिन माना जाता है। इसके चलते लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं। उन्हीं में से एक है वरलक्ष्मी व्रत। धन, वैभव, संपन्न्ता, समृद्धि, सुख, संपत्ति और अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए शास्त्रों में इस अत्यंत दुर्लभ व्रत का उल्लेख मिलता है। बता दें वर का अर्थ है वरदान और लक्ष्मी का अर्थ है धन-वैभव। वरलक्ष्मी व्रत करने वाले के परिवार को समस्त सुख और संपन्न्ता की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।

बता दें वर लक्ष्मी का व्रत श्रावण पूर्णिमा यानि रक्षाबंधन से ठीक पहले आने वाले शुक्रवार को किया जाता है। इस साल की श्रावण पूर्णिमा 15 अगस्त यानि स्वतंत्रता को आ रही है। उससे पहले 9 अगस्त को आने वाले शुक्रवार के दिन वर लक्ष्मी व्रत किया जाएगा। आमतौर पर यह व्रत आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर किया जाता है। मगर अब इस व्रत के अत्यंत चमत्कारी प्रभाव के कारण यह भारत के अधिकांश राज्यों में किया जाने लगा है।
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ज्योतिष के अनुसार यह व्रत केवल विवाहित महिलाएं ही कर सकती हैं। खास तौर कहा गया है कि कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत करना वर्जित है। परिवार के सुख और संपन्न्ता के लिए विवाहित पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं। मान्यता है अगर पति-पत्नी दोनों साथ में यह व्रत रखते हैं तो इसका दोगुना फल प्राप्त होता है।

कहा जाता है इस व्रत के शुभ प्रभाव से जीवन के समस्त अभाव दूर हो जाते हैं, आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और व्रती के जीवन में धन का आगमन आसान हो जाता है। बता दें वर लक्ष्मी व्रत से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं जो हैं श्री, भू, सरस्वती, प्रीति, कीर्ति, शांति, संतुष्टि और पुष्टि। अर्थात वरलक्ष्मी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, ज्ञान, प्रेम, प्रतिष्ठा, शांति, संपन्न्ता और आरोग्यता आती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार मां लक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीरसागर से समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। गौर वर्ण की यह देवी दुग्ध के समान धवल वस्त्र धारण किए रहती हैं। मान्यता है कि वरलक्ष्मी व्रत करने से अष्टलक्ष्मी की पूजा के समान फल मिलता है। वरलक्ष्मी को विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प, मिठाई अर्पित किए जाते हैं।
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पूजन मुहूर्त
वरलक्ष्मी व्रत शुक्रवार, अगस्त 9, 2019 को

सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (प्रातः) - 06:41 से 08:44

अवधि - 02 घण्टे 03 मिनट

वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (अपराह्न) - 12:53 से 15:05

अवधि - 02 घण्टे 12 मिनट

कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त (संध्या) - 19:05 से 20:46

अवधि - 01 घण्टा 42 मिनट

वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि) - 24:13+ से 26:16+

अवधि - 02 घण्टे 02 मिनट

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