Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jan, 2018 01:27 PM
वसंत पंचमी पर विद्या की अधिष्ठात्री देवी महासरस्वती का जन्मदिन मनाया जाता है। सरस्वती ने अपने चातुर्य से देवों को राक्षसराज कुंभकर्ण से कैसे बचाया, इसकी एक मनोरम कथा वाल्मिकी रामायण के उत्तरकांड में आती है। कहते हैं देवी वर प्राप्त करने के लिए...
वसंत पंचमी पर विद्या की अधिष्ठात्री देवी महासरस्वती का जन्मदिन मनाया जाता है। सरस्वती ने अपने चातुर्य से देवों को राक्षसराज कुंभकर्ण से कैसे बचाया, इसकी एक मनोरम कथा वाल्मिकी रामायण के उत्तरकांड में आती है। कहते हैं देवी वर प्राप्त करने के लिए कुंभकर्ण ने दस हजार वर्षों तक गोवर्ण में घोर तपस्या की। जब ब्रह्मा वर देने को तैयार हुए तो देवों ने कहा कि यह राक्षस पहले से ही है, वर पाने के बाद तो और भी उन्मत्त हो जाएगा तब ब्रह्मा ने सरस्वती का स्मरण किया।
सरस्वती राक्षस की जीभ पर सवार हुईं। सरस्वती के प्रभाव से कुंभकर्ण ने ब्रह्मा से कहा, ‘स्वप्न वर्षाव्यनेकानि। देव देव ममाप्सिनम।’
अर्थात मैं कई वर्षों तक सोता रहूं, यही मेरी इच्छा है।
वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती का पूजन करने से आप भी ज्ञान, कुशाग्र बुद्धि और अच्छी याददाश्त प्राप्त कर सकते हैं। विद्या की देवी को बहुत प्रिय है ये चीजें, अवश्य लगाएं भोग-
गेंदे, सरसों, पीले और सफेद रंग के फूल
बेसन के लड्डू अथवा बर्फी, बूंदी के लड्डू अथवा बूंदी
पीले रंग के वस्त्र पहनें भी और दान भी करें।
कलम और कॉपी का दान करें।
मस्तक पर केसर अथवा पीले चंदन का तिलक करें, इससे ज्ञान और धन में वृद्धि होती है।