मकान बनवाने के लिए ध्यान में रखें वास्तु के ये नियम

Edited By Lata,Updated: 12 May, 2019 04:16 PM

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जिन व्यक्तियों का लाख प्रयत्न करने पर भी स्वयं का मकान न बन पा रहा हो, वे इस उपाय को अपनाएं।

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जिन व्यक्तियों का लाख प्रयत्न करने पर भी स्वयं का मकान न बन पा रहा हो, वे इस उपाय को अपनाएं। प्रत्येक शुक्रवार को नियम से किसी भूखे को भोजन कराएं और रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं। ऐसा नियमित करने से अपनी अचल सम्पत्ति बनेगी या पैतृक सम्पत्ति प्राप्त होगी। अगर संभव हो तो प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात निम्र मंत्र का जाप करें-पद्यावती पद्म कुशी वज्रवज्रांपुशी प्रतिब भवंति भवंति। ध्यान रखें यह प्रयोग नवरात्रि के दिनों में अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस दिन प्रात:काल उठ कर पूजा स्थल में गंगाजल, कुआं जल, बोरिंग जल में से जो उपलब्ध हो, उसके छींटे लगाएं, फिर एक पाटे के ऊपर दुर्गा जी के चित्र के सामने, पूर्व में मुंह करते हुए उस पर 5 सिक्के रखें। साबुत सिक्कों पर रोली, लाल चंदन एवं एक गुलाब का पुष्प चढ़ाएं। माता से प्रार्थना करें। इन सबको पोटली में बांध कर अपने गल्ले, संदूक या अलमारी में रख दें। यह टोटका हर 6 माह बाद पुन: दोहराएं।
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वास्तु मत्स्य यंत्र : अनेक लोगों के मकान, भवन या फ्लैट आदि वास्तु के अनुकूल नहीं बने होते। उन्हें तोड़-फोड़ कर वास्तु के अनुकूल बनाया जाना संभव नहीं होता किंतु वे वास्तुदोष का निवारण भी चाहते हैं। ऐसे लोग विभिन्न प्रकार की समस्याओं से घिरे होते हैं। कभी-कभी अज्ञानतावश पहली मंजिल तक भवन निर्माण हो गया, पर रात्रि में खट-खट की-सी आवाजें आती हैं। कई बार निर्माण में निरंतर रुकावटें आने के कारण आगे का कार्य रुक जाता है अथवा मकान बन जाने पर धन की हानि और बुरे-बुरे सपने आते हैं। बार-बार अग्रिकांड की घटनाएं घटित होती हैं, कार्यालय, फैक्टरी में अनायास मशीनों में टूट-फूट, खराबी आ जाती है, कार्यालय में जाने-बैठने का दिल नहीं करता अथवा कार्यालय में बैठने से नींद-सुस्ती आती है। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए मां गायत्री की शक्ति से परिपूर्ण प्राण-प्रतिष्ठित वास्तु मत्स्य यंत्र-आप अपने घर या कार्यालय में स्थापित करवा लें तो यह शुभ एवं कारगर सिद्ध होगा।
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यह यंत्र चांदी के पतरे पर शुद्ध तिथि एवं शुभ नक्षत्र में उत्कीर्ण करवाएं। वास्तु मत्स्य यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा-विधि जटिल है। इसलिए इसे किसी विशेषज्ञ की ही देख-रेख में प्राण-प्रतिष्ठित करवाएं। निर्मित यंत्र को शुद्ध गंगाजल से धोकर और स्वच्छ वस्त्र से पोंछ कर 5 किलो साफ चावलों में रखें,  फिर धूप-दीप प्रज्वलित करके कम्बल के आसन पर पूर्वाभिमुख होकर गायत्री मंत्र का 1008 बार जप करें। यह सभी कार्य शुद्ध नक्षत्र सूर्य में ही होना चाहिए।

अब यंत्र को शुद्ध नक्षत्र में सवा किलो पंचामृत (दूध, दही, शुद्ध घी, शहद और शक्कर) में रखकर 1008 बार गायत्री मंत्र का जप करें। इस प्रकार यह यंत्र प्राण-प्रतिष्ठित अर्थात जागृत हो गया। अब इस जागृत यंत्र को शुद्ध नक्षत्र में मकान या फ्लैट के ईशान कोण में यथावत नवग्रह, वास्तु, इष्ट-पूजन एवं हवन करके भूमि में गाड़ दें। (बहुमंजिला फ्लैट में ईशान दिशा में मंदिर में स्थापित करें) इस विधि से प्राण-प्रतिष्ठित वास्तु मत्स्य यंत्र आपके घर में स्थापित हो गया।
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इस यंत्र से निकलने वाली पॉजीटिव तरंगें आप तुरन्त अनुभव कर सकेंगे। दुष्ट शक्तियां, नीचस्थ जीव, गण आदि जो निरंतर मनुष्य जीवन पर दुष्प्रभाव डालते और कष्ट पहुंचाते रहते हैं, वे जागृत वास्तु मत्स्य यंत्र-स्थापित घरों से डर कर दूर भाग जाते हैं। इस यंत्र के प्रभाव से निम्रकोटि के तांत्रिक प्रयोग, टोटके एवं बंधन आदि भी तुरन्त निष्फल हो जाते हैं।    

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